मजदूरी या वेतन में से नियम विरुद्ध कटौती के खिलाफ FIR दर्ज करवा सकते हैं / DO YOU KNOW

Bhopal Samachar
भारत में जितनी विकराल समस्या घरेलू हिंसा है उतनी ही विकराल समस्या मजदूर या कर्मचारी का शोषण भी है। ज्यादातर मजदूर या कर्मचारी इसलिए शोषण का शिकार हो जाते हैं क्योंकि वह अपने अधिकारों और कानून से परिचित नहीं होते। जैसे ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि यदि सेठ/ ठेकेदार या अधिकारी किसी मजदूर या कर्मचारी की मजदूरी या वेतन में नियम विरुद्ध कटौती करता है तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 374 के खिलाफ मामला दर्ज कराया जा सकता है। मजदूरों और कर्मचारियों को यह जानना बहुत जरूरी है कि भारतीय संविधान का आर्टिकल 23 ना केवल उनके अधिकारों की रक्षा करता है बल्कि उनकी स्वतंत्रता को भी सुनिश्चित करता है।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 23 क्या है जानिए:-

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 एवं 24, शोषण के विरुद्ध अधिकार की बात करता है,अर्थात अगर किसी मजदूर का कोई शोषण कर रहा है तो उस मजदूर को कानूनी अधिकार है कि वह इसका कानूनी प्रक्रिया से विरोध कर सकता हैं। यहां हम सिर्फ अनुच्छेद 23 की ही बात कर रहे हैं।

अनुच्छेद 23 के अनुसार क्या है बलात श्रम:

किसी श्रमिक से जबरदस्ती मजदूरी कराना, बंधुआ मजदूरी कराना, मजदूरों का क्रय-विक्रय (खरीदना-बेचना) करना, किसी भी मजदूर से 8 घण्टे से ज्यादा काम कराना, कम वेतन या बिना वेतन का मजदूर से काम कराना,मजदूरों को गाली-गलौज या दबाब देकर काम कराना या इच्छा के विरुद्ध काम कराना आदि। बलात श्रम के अंतर्गत आते है।

अगर किसी श्रमिक (मजदूर) से बलात श्रम कराया जाता है तो IPC की किस धारा के तहत मामला दर्ज करा सकते हैं 
जो कोई व्यक्ति ठेकेदार, नियोजन मालिक, सेठ साहूकार या कोई जो मजदूरों से किसी भी तरह काम लेता है वह निम्न कृत्य करेगा:-
किसी श्रमिक से जबरदस्ती मजदूरी कराना, बधुआ मजदूरी कराना, मजदूरों का क्रय-विक्रय (खरीदना-बेचना) करना, किसी भी मजदूर से 8 घण्टे से ज्यादा काम कराना, कम वेतन या बिना वेतन का मजदूर से काम कराना, जेल में कैदियों को मजदूरी का भुगतान नहीं कराना, मजदूरों को गाली - गलौज या दबाब देकर काम कराना या इच्छा के विरुद्ध काम कराना आदि तो वह भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 374 के अनुसार अपराध कारित करता है। 

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 374 में दण्ड का प्रावधान

धारा 374 का अपराध किसी भी तरह का समझौता योग्य नहीं है, एवं यह अपराध संज्ञये (अपराध) होते हैं जमानतीय होते हैं। इस अपराध की सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकते हैं।
इस तरह के अपराध में एक वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डिनीय किया जा सकता है।

उधारानुसार:- रामू किसी कंपनी में काम करता है, एवं कंपनी मालिक को कंपनी में कुछ नुकसान हो जाता है, जिसके कारण वह रामू के वेतन में कटौती कर देता है, परन्तु रामू ने मेहनत तो उसके वेतन के अनुसार ही करी थी। यहा पर कंपनी मालिक धारा 374 के अंतर्गत दोषी होगा।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665

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