न्यूज़ में अक्सर यह सुनने को मिल जाता है कि किसी एक्सीडेंट में हाथ या पैर कट जाने के बाद भी घायल ना केवल जिंदा था बल्कि अपने दम पर उठा और अस्पताल तक भी पहुंचा। सवाल यह है कि जब हाथ या पैर कट जाने पर इंसान जिंदा रहता है तो फिर गर्दन कटते क्यों बढ़ जाता है। इसके पीछे का विज्ञान क्या है।
हाथ या पैर कटने पर क्या होता है
यदि किसी एक्सीडेंट या हमले में किसी व्यक्ति का हाथ या पैर कट जाए तो वहां से बहुत तेजी से खून की धार निकलती है। यदि निकलते हुए खून को तत्काल रोकने में सफलता प्राप्त हो जाए तो व्यक्ति की जान बच जाती है। शरीर के किसी भी अंग के कटकर अलग हो जाने पर मृत्यु तभी होती है जब अत्यधिक मात्रा में खून निकल जाए लेकिन गर्दन के मामले में ऐसा नहीं है।
गर्दन कटने पर क्या होता है
यदि किसी हादसे या हमले में गर्दन कट जाए तो इंसान की तत्काल मृत्यु हो जाती है। कभी-कभी तो गर्दन पर पूरा कटना लगने के बावजूद मृत्यु हो जाती है। ऐसे मामलों में खून का अत्याधिक निकलना भी जरूरी नहीं है। क्योंकि हमारा पूरा शरीर दिमाग के आदेश पर काम करता है और नाक द्वारा ऑक्सीजन लिए जाने पर हृदय खून को पूरे शरीर में पहुंचाता है और वापस खींचता है। गर्दन कट जाने की स्थिति में यह दोनों पर क्रियाएं बंद हो जाती हैं। यदि इनमें से कोई एक प्रक्रिया भी बंद हो जाए तो व्यक्ति की तत्काल मृत्यु हो जाती है। क्योंकि दिमाग शरीर को आदेश देना बंद कर देता है अतः शरीर काम करना बंद कर देता है। ऑक्सीजन नहीं मिलता तो दिल धड़कना बंद कर देता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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