यदि आपने हवाई यात्रा की है या फिर कभी उत्तर भारत के पहाड़ों पर पर्यटन किया है तो आपने जरूर देखा होगा कि आप या तो बादलों के साथ होते हैं या बादलों के ऊपर। कितनी ऊंचाई पर होने के बाद भी आप पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में होते हैं। आपके हाथ से यदि मोबाइल छूट जाए तो वह सीधा जमीन पर आकर गिरेगा। बादलों में भी बर्फ होती है, पानी भरा होता है। सवाल यह है कि जब बादल जितनी ऊंचाई से मोबाइल जमीन पर गिर जाता है तो फिर बादल क्यों नहीं गिरते। वह हवा में तैरते क्यों रहते हैं।
बादल दरअसल समुद्र, नदियों, तलाबों और धरती में उपस्थित जल के वाष्पीकरण के कारण बादलों के अंदर गर्म वायु भी भर जाती है। यह बताने की जरूरत नहीं कि गर्म वायु हमेशा ऊपर की तरफ जाती है। जब बादलों का वाष्पीकरण पूरा हो जाता है तो गर्म वायु के कारण वह ऊपर की तरफ जाने लगते हैं। ऊपर जाने पर इसका फैलाव होने पर जब यह ठण्डी हो जाती हैं, तो बादलों का रूप ले लेती हैं। बादलों के आकार-प्रकार पर गुरूत्वाकर्षण बल असर करता है। वायु में उपस्थित अतरिक्त वाष्प पानी की बूंदों को नहीं रोक पाती हैं।
बादल में उपस्थित बर्फ के कारण पानी की बूंदे बनती रहती हैं और गुरुत्वाकर्षण बल से प्रभावित होने के कारण यह पानी की बूंदे बादलों की आकृति बदलती रहती है। आयतन अधिक होने के कारण बादलों का घनत्व कम होता है, इस कारण बादलों का भार वायु में कम रहता है, और वह तैरते रहते हैं। बारिश होने पर केवल पानी की बूंदे नीचे की तरफ जाती है बादल पहले थोड़ा सा नीचे आते हैं और फिर जब उसमें सिर्फ गर्म हवा रह जाती है तो ऊपर की तरफ उड़ जाते हैं।
कुल मिलाकर बादल हवा में तैरते नहीं है बल्कि गर्म हवा के कारण ऊपर की तरफ उड़ते हैं। क्योंकि उनमें बर्फ भरी होती है जो हवा के संपर्क में आने के कारण पानी बनती है इसलिए वह पानी के बोझ से नीचे की तरफ आते हैं और पानी गिर जाने पर जब केवल गर्भावती है तो फिर ऊपर की तरफ उड़ने लगते हैं। यानी बादल हवा में तैरते नहीं है उड़ते हैं और गर्म हवा के कारण जमीन पर नहीं गिरते। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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