पालतू कुत्तों की अपनी एक दुनिया होती है। पालतू कुत्तों की कई नस्लें प्रचलन में है। कुछ लोगों के लिए कुत्ते उनकी प्रतिष्ठा का प्रश्न होते हैं। बताने की जरूरत नहीं की पालतू कुत्ते ना केवल काफी महंगे होते हैं बल्कि इनका पालन-पोषण भी काफी महंगा हो गया है। सवाल यह है कि लोग लाखों रुपए में सबसे अच्छी नस्ल का कुत्ता खरीदने के बाद उसकी पूंछ क्यों कटवा देते हैं। क्या इसके पीछे कोई साइंस है या फिर बस देखा-देखी लोग एक दूसरे की नकल करते चले आ रहे हैं। आइए समझते हैं:-
18 शताब्दी में कुछ देशों में कुत्तों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया। एक वर्किंग डॉग्स और दूसरा नॉन वर्किंग डॉग्स। वर्किंग डॉग्स यानी वो कुत्ते जो इंसान को उसके काम में मदद करते हैं। नॉन वर्किंग डॉग्स यानी वह कुत्ते जो सिर्फ सजावट के लिए या खेलने के लिए पाले जाते हैं। पहचान सुनिश्चित करने के लिए वर्किंग डॉग्स की पूंछ काटने के आदेश दिए गए और उन्हें टैक्स फ्री कर दिया गया। जबकि नॉन वर्किंग डॉग्स पर टैक्स लगा दिया गया।
- सबसे पहले रोम में कुत्तों की पूंछ काटने का सिलसिला शुरू हुआ। वहां माना जाता था कि कुत्तों की पूछ काट देने से रेबीज का खतरा कम हो जाता है।
- दुनिया के कुछ देशों में शिकारी कुत्तों पूंछ उन्हें चोट से बचाने के नाम पर काटी जाने लगी।
- एक मान्यता यह भी है कि अपने पालतू कुत्ते को दूर से पहचान लेने के लिए उसकी पूंछ या कान काट दिए जाते थे। शायद यह प्रक्रिया आज भी अपनाई जाती है।
- वर्तमान में कुछ लोग अपने पालतू कुत्ते को स्मार्ट दिखाने के लिए उसकी पूंछ या कान काट देते हैं।
डॉक्टर का कहना है कि कुत्ते की पूंछ काटने से कुत्ता विकलांग हो जाता है। कुत्ते की पूंछ उसके शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसके माध्यम से उसे कई संकेत प्राप्त होते हैं। वह अपने समाज में अपनी अभिव्यक्ति इसी के माध्यम से प्रकट करता है। कुत्ते की पूंछ से ही पता चलता है कि वह स्वस्थ है या बीमार हो रहा है। इसलिए किसी भी कारण से कुत्ते की पूछ काटना बिल्कुल गलत है। और हां, कुत्ते की पूंछ काटने से रेबीज का खतरा कम नहीं होता बल्कि बढ़ जाता है क्योंकि तब कुत्ते को पालने वाले व्यक्ति को भी पता नहीं चलता यह कुत्ता खुश है या गुस्से में है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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