ग्वालियर। ग्वालियर के बेहट गांव में कोरोना पॉजिटिव परिवार को सरकारी अफसरों ग्वालियर लाकर JAH में भर्ती करने की बजाय गांव के ही एक सामुदायिक भवन में छोड़ दिया। 23 मई को बेहट के बाथम मोहल्ला निवासी प्रमोद को पत्नी ज्योति और 5 साल के बेटे अजय के साथ पॉजिटिव पाए जाने पर अफसरों ने गांव के ही सामुदायिक भवन में छोड़ दिया था।
लापरवाही की हद यह है कि कोरोना संक्रमित दंपती के साथ उनके छोटे बच्चों को भी रखा गया है। जबकि 3 बच्चों में से 2 बच्चों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई थी। अफसरों की इस लापरवाही के डर से गांव के सभी खौफजदा लोग अपने घरों में कैैद हैं। जानकारी मिलने के बाद कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने शुक्रवार रात बेहट पहुंचकर इस परिवार के भोजन और इलाज के व्यवस्था करने के निर्देश दिए।
प्रमोद बाथम अहमदाबाद में रहकर पानी टिक्की बेचने का काम करता था। वह 19 मई को बेहट लौटा था। तब इसकी पत्नी व तीनों बच्चों का टेस्ट कराया गया। 23 मई की रिपोर्ट में प्रमोद, ज्योति और अजय पॉजिटिव आए। बाकी दो बच्चों की रिपोर्ट निगेटिव आई। अगले दिन प्रशासन, पुलिस और डॉक्टर्स की टीम यहां पहुंची और सभी लोगों को सामुदायिक भवन में ही भर्ती रहने को कह दिया और हर मरीज को 8-8 गोली देकर चले गए। तब से अब तक न डॉक्टर पहुंचे हैं और न अधिकारी।
जिस सामुदायिक भवन में इन लोगों को रखा गया है वहां सिर्फ एक पंखा लगा है। यहां एक पलंग तक नहीं है। प्रमोद और उसकी पत्नी ने बताया कि हम लोग जमीन पर लगे गद्दों पर ही सो रहे हैं। किसी प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस या पटवारी ने पहुंचकर हमारे खान-पान की जानकारी नहीं ली। मोहल्ले में रहने वाले लोग डर के मारे हमारे पास नहीं आते बल्कि सामुदायिक भवन की देहरी पर चाय व खाना रख जाते हैं, जिसे हम उठाकर खा लेते हैं। 23 मई के बाद से अब तक पॉजिटिव पाए गए लोगाें की कांट्रेक्ट हिस्ट्री तलाश कर कोई सैंपल तक नहीं लिए गए हैं।
पटवारी और अधिकारियों के नंबर पर कई फोन लगाए
ग्रामीणों का कहना है कि संक्रमित प्रमोद और उसके परिवार को सामुदायिक भवन में रखा गया है। इस डर से हम घरों से नहीं निकल पा रहे। हमारे पास पटवारी और जिन अधिकारियों के नंबर थे उन्हें कई फोन लगाए लेकिन, किसी ने इन्हें अस्पताल नहीं भेजा। प्रमोद और उसके परिवार से न कोई खाने की पूछने आता है और न ही दवा की। मोहल्ले वाले ही नाश्ते से लेकर रात का खाना दे रहे हैं। सबके मन में इस बात का डर भी है कि कहीं हम संक्रमित न हो जाएं। हम लोगों की जांच भी नहीं हुई है।
कोविड-19 के जो भी पॉजिटिव लोग पाए जा रहे हैं, उन्हें जेएएच के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में रखकर इलाज किया जा रहा है। बेहट गांव शहर से करीब 52 किलोमीटर दूर है। बमुश्किल एक घंटे का सफर तय कर एंबुलेंस द्वारा इन मरीजों को शिफ्ट किया जा सकता है। लेकिन 7 दिन बीतने के बावजूद ऐसा नहीं हो सका है। जबकि, यहां से करीब 12 किलोमीटर दूर घुसगंवा गांव के 3 मरीजों को सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती रखकर इलाज किया गया है। जिनमें से 2 लोग ठीक होकर अपने घर पहुंच चुके हैं।
CMHO डॉ. एसके वर्मा का बयान
उनमें एक बच्चा पॉजिटिव है इसलिए उन्हें सामुदायिक भवन में ही रखा गया है। हमारी टीम रोजाना वहां जाती है। फिर भी मैं इस मामले को गंभीरता से दिखवा लेता हूं।
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