भोपाल। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पारिवारिक रिश्ते को ठुकराते हुए राजनैतिक धर्म पालन करने का ऐलान कर दिया है। मायावती ने सभी 24 सीट पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कहते थे कि मायावती से उनके व्यक्तिगत रिश्ते हैं। अब जबकि बीएसपी ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का ऐलान कर ही दिया है तो फिर आई है कैलकुलेट करें इस उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी किसका क्या बिगाड़ लगी है।
ग्वालियर-चंबल संभाग में कितनी वजनदार है बहुजन समाज पार्टी
बसपा का दावा है कि डेढ़ साल पहले हुए आम चुनाव में ग्वालियर-चंबल संभाग की 15 सीटों पर उसे निर्णायक वोट मिले थे। दो सीटों पर उसके प्रत्याशी दूसरे क्रम पर रहे, जबकि 13 सीटें ऐसी थीं, जहां बसपा प्रत्याशियों को 15 हजार से लेकर 40 हजार तक वोट मिले थे। ग्वालियर-चंबल की जिन सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, उनमें से मेहगांव, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, भांडेर, करैरा और अशोकनगर में पूर्व में बसपा जीत दर्ज करा चुकी है। पिछले चुनाव में गोहद, डबरा और पोहरी में बसपा दूसरा दल रहा, जबकि ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व और मुंगावली में उसकी मौजूदगी नतीजों को प्रभावित करने वाली साबित हुई। डेढ़ साल पहले मुरैना में भाजपा की पराजय में बसपा की मौजूदगी प्रमुख कारण था। इसके अलावा पोहरी, जौरा, अंबाह में बसपा के चलते भाजपा तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी।
BSP को किस सीट पर कितने वोट मिले
डेढ़ साल पहले विधानसभा आम चुनाव में बसपा ने ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों पर निर्णायक वोट हासिल किए थे। इनमें अंबाह 22179, अशोकनगर 9559, करैरा 40026, ग्वालियर 4596, ग्वालियर पूर्व 5446, गोहद 15477, डबरा 13155, दिमनी 14458, पोहरी 52736, भांडेर 2634, मुंगावली 14202, मुरैना 21149, मेहगांव 7579, बमोरी 7176, सुमावली 31331 एवं जौरा में बसपा प्रत्याशी को 41014 वोट मिले थे।
24 सीटों पर उपचुनाव होने इनमें से 23 कांग्रेस की है
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही उपचुनाव में पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में हैं। दोनों ही दलों के टिकट से वंचित दावेदारों के सामने बसपा का दामन थामने का विकल्प भी रहेगा। 24 में से 23 सीटों पर कांग्रेस काबिज थी, यदि वह अपनी स्थिति बरकरार रख पाई तो संख्या बल के हिसाब से प्रदेश की सत्ता में उसकी फिर वापसी हो जाएगी। यदि कांग्रेस ऐसा नहीं कर पाई तो उसके सामने बड़ा संकट आएगा। कमलनाथ को श्यामला हिल्स पर स्थित मुख्यमंत्री निवास पर से अपना कब्जा छोड़ना पड़ेगा।
मायावती क्या चाहती हैं, बसपा स्वतंत्र चुनाव क्यों लड़ रही है
सभी जानते हैं कि मध्यप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी बहुत कम सीटों पर चुनाव जीती है लेकिन बहुत सारी सीटों पर किसी ना किसी की हार का कारण जरूर बनती है। यानी बहुजन समाज पार्टी इस स्थिति में है कि वह किसी भी प्रत्याशी के साथ सौदेबाजी कर सकती है। बावजूद इसके मायावती ने पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। सूत्र बताते हैं कि इसके पीछे सबसे बड़ा कारण मध्यप्रदेश की विधानसभा में बसपा विधायकों की संख्या 10 तक पहुंचाना है। मायावती चाहती है कि 24 में से कम से कम 8 सीटें बीएसपी को मिल जाए तो फिर मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी सत्ता में भागीदार होगी। रही बात कमलनाथ से रिश्तों की तो वो पहले भी पॉवर के कारण थे, इस बार फिर से पॉवर मिल गई तो कमलनाथ खुद लखनऊ चले आएंगे।
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