आपने अक्सर देखा होगा सरकार की सार्वजनिक सूचनाओं पर एक संदेश भी लिखा होता है। यदि कोई अभियान नहीं चल रहा है तो उस पर लिखा होता है 'बिजली बचाइए, SAVE ELECTRICITY' सवाल यह है कि जब बिजली को स्टोर नहीं किया जा सकता तो फिर सरकार उसे बचाने के लिए क्यों कहती है। यदि जनता ने सरकार की बात मान ली तो फिर बची हुई बिजली का सरकार क्या करेगी। आइए जानते हैं:
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जमशेदपुर से बी टेक वैद्युत अभियान्त्रिकी श्री शैशव कुमार जो भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण में कार्यरत हैं, कहते हैं कि यह एक बहुत ही बेहतरीन सवाल है। अक्सर कुछ लोग सोचते हैं कि जब तार में करंट आ ही रहा है तो उसका उपयोग कर लिया जाए, नहीं करेंगे तो वह अपने आप नष्ट हो जाएगा। जैसे नल में यदि लगातार पानी आ रहा है और आपने उसे उपयोग नहीं किया तो वह नाली में बह जाता है लेकिन बिजली के मामले में ऐसा नहीं है।
दरअसल बिजली के उत्पादन की प्रक्रिया काफी कठिन होती है। इसके कारण पर्यावरण भी प्रभावित होता है। बिजली के उत्पादन का कैलकुलेशन उल्टा होता है। जब आप बिजली का खर्चा शुरू करते हैं तो हेड क्वार्टर में सरकार को पता चलता है कि बिजली की डिमांड बढ़ रही है। मांग की पूर्ति के लिए सरकार को बिजली का उत्पादन बढ़ाना पड़ता है। यह केवल खर्चीला है बल्कि नुकसानदायक भी है। यदि आप बिजली का खर्चा कम कर देंगे तो हेडक्वार्टर में उसकी डिमांड कम हो जाएगी और सरकार को कम से कम उत्पादन करना पड़ेगा। इससे एक तरफ पैसे की बचत होगी तो दूसरी तरफ पर्यावरण की। इसीलिए कहा जाता है 'बिजली बचाइए, SAVE ELECTRICITY' Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
(current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)