हिंदू धर्म शास्त्रों में मनुष्य के जीवन के 16 संस्कारों का वर्णन है। वेद का कर्म मीमांसा दर्शन द्वारा इसे मान्यता प्रदान की गई है। इनमें गर्भाधान संस्कार सबसे प्रथम है। प्रश्न यह है कि क्या सचमुच इस प्रकार विधि विधान के साथ गर्भाधान करने से गुणवान और मनवांछित संतान की प्राप्ति होती है। आइए जानने की कोशिश करते हैं:-
हिंदू धर्म ग्रंथ स्मृति संग्रह में गर्भाधान के संदर्भ में सर्वमान्य व्याख्या उपलब्ध है। इसके अनुसार स्त्री एवं पुरुष के मिलन से संतान की उत्पत्ति एक अत्यंत ही शुभ कार्य है। यदि विधि पूर्वक संस्कार से युक्त होकर गर्भाधान किया जाए तो निश्चित रूप से सुयोग्य संतान उत्पन्न होती है। मेडिकल साइंस भी कहता है कि स्त्री एवं पुरुष जब आनंद में होते हैं तो उस समय उनके मन में जो भाव प्रकट होते हैं उसका सीधा असर उनकी संतान पर पड़ता है।
हिंदू धर्म शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि ऋतु स्नान के बाद महिला जिस भी पुरुष का ध्यान करती है, एवं यदि उसी रात्रि में गर्भाधान करती है तो उस पुरुष के गुण संतान में परिलक्षित होते हैं। इसीलिए हिंदू परिवारों में ऋतु स्नान के बाद भगवान एवं महापुरुषों के दर्शन की परंपरा स्थापित की गई है। गर्भाधान के लिए रात्रि का तृतीय प्रहर (रात्रि 12:00 बजे से 3:00 बजे तक) का समय सर्वथा उत्तम माना गया है।
निष्कर्ष एवं परामर्श
निष्कर्ष एवं परामर्श है कि कोई भी व्यक्ति गर्भाधान संस्कार में विश्वास करें या ना करें लेकिन गर्भाधान संस्कार के नियमों का पालन करना उसके लिए मुश्किल नहीं है। दंपति को मिलन से पहले स्नानादि करके स्वच्छ होना है और फिर मन में एक दूसरे के प्रति निश्चित प्रेम के भाव से भरकर समीप आना है। इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं है। यदि प्रयोग सफल हुआ तो गुणवान संतान की प्राप्ति होगी। विफल हुआ तो कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि पति-पत्नी को एक दूसरे के प्रति प्रेम का एक दृढ़ एवं स्थापित भाव प्रकट करने की प्रैक्टिस हो जाएगी। जो लाइफ के लिए अच्छी बात है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
निष्कर्ष एवं परामर्श
निष्कर्ष एवं परामर्श है कि कोई भी व्यक्ति गर्भाधान संस्कार में विश्वास करें या ना करें लेकिन गर्भाधान संस्कार के नियमों का पालन करना उसके लिए मुश्किल नहीं है। दंपति को मिलन से पहले स्नानादि करके स्वच्छ होना है और फिर मन में एक दूसरे के प्रति निश्चित प्रेम के भाव से भरकर समीप आना है। इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं है। यदि प्रयोग सफल हुआ तो गुणवान संतान की प्राप्ति होगी। विफल हुआ तो कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि पति-पत्नी को एक दूसरे के प्रति प्रेम का एक दृढ़ एवं स्थापित भाव प्रकट करने की प्रैक्टिस हो जाएगी। जो लाइफ के लिए अच्छी बात है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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