नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की एक अपील पर भारत की करीब 100 करोड़ जनता ने बिना सवाल के लॉकडाउन को स्वीकार कर लिया। इस दौरान लोगों को व्यक्तिगत जीवन में कई परेशानियों और आर्थिक नुकसान का सामना भी करना पड़ा। लोगों ने वह भी स्वीकार कर लिया परंतु सरकारी व्यवहार और सरकारी कंपनियां देशभक्ति के नाम पर अपना मुनाफा छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। भारत सरकार की पेट्रोलियम कंपनियों ने भारत वासियों से मुनाफा वसूली शुरू कर दी है। हर रोज पेट्रोल/डीजल के दामों में करीब 55 पैसे की बढ़ोतरी की जा रही है। इस तरह पिछले 6 दिनों के अंदर पेट्रोल के दाम 3.31 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम 3.42 रुपये प्रति लीटर की बढ़त हो चुकी है. आइए जानते हैं कि इसकी वजह क्या है।
लॉकडाउन में हुए घाटे की भरपाई ग्राहकों से वसूली जाएगी
देश में महामारी फैल गई, सरकार रोक नहीं पाई फिर भी आप लोगों ने सरकार के लॉकडाउन का न केवल समर्थन किया बल्कि अपना नुकसान भी सहन किया लेकिन सरकारी विभाग और सरकारी कंपनियां ऐसा नहीं कर रही है। लॉकडाउन के बीच ट्रांसपोर्टेशन पूरी तरह से ठप हो जाने की वजह से पेट्रोल-डीजल की बिक्री लगभग ठप रही और इस वजह से तेल कंपनियों को काफी नुकसान हुआ है। जानकारों का मानना है कि अगले महीनों में पेट्रोल और डीजल के दाम में और बढ़त हो सकती है, क्योंकि तेल कंपनियां अपने नुकसान की भरपाई करने की कोशिश करेंगी।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट का फायदा ग्राहकों को नहीं
अंतरराष्ट्रीय बाजार में जब भी कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, भारत की सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाने लगती हैं परंतु जब कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आती है तो कंपनियां इसका फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचने देती। कोरोना संकट और सऊदी अरब-रूस के बीच होड़ की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावटें आईं थी लेकिन भारत में कीमतें कम नहीं की गई। खुदरा बाजार में इसे मुनाफाखोरी कहते हैं लेकिन सरकारी कंपनियां कर रही हैं इसलिए सरकार को कोई आपत्ति नहीं।
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