लाटरी मतलब जुआ एक ऐसा खेल है जो किसी भी व्यक्ति को कब बर्बाद कर दे पता ही नहीं चलता है। कई लोग जुए में बर्बाद हुए हैं और कई बने भी है, कुछ लोग फर्जी तरीके से और गुप्त रूप से जुआ चलते हैं जिसे हम सट्टा भी कहते हैं जो आपने फायदे को लेकर लोगो को गुमराह करके लुटा जाता हैं। आज के लेख में हम आपको बताएंगे कौन सी फर्जी लाटरी अपराध की श्रेणी में आती है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 294 (क) की परिभाषा:-
अगर कोई भी व्यक्ति अवैध तरीके से निम्न कृत्य करेगा:-
1. राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत लॉटरियों को छोड़ कर, गुप्त रूप से या फर्जी तरीक़े से लॉटरियों को चलाना।
2. अनचाहे लाभ के लिए लोगों को भ्रमित प्रोहोत्सन करना या कूपन वितरित करना।
3. गुप्त रूप से जुआ, सट्टा, खिलवाना आदि।
4.किसी भी प्रकार की कोई लाटरी टिकिट को ब्लेक या फर्जी तरीके से बेचना आदि।
5.कोई भी अवैध लॉटरी (जुआ) संबंधित प्रस्थापनाओं या प्रस्तावों का प्रकाशन करेगा या छपेगा।
निम्न लॉटरी खोलना अपराध नहीं है:-
1.राज्य सरकार या अन्य संबंधित अधिकारी द्वारा प्राधिकृत लाटरीया।
2. वह प्रोहोत्सन जो अपनी दिमाग, कौशल, बुद्धि आदि द्वारा मिला गया हो।
आईपीसी की धारा 294 (क) के तहत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध कोई भी समझौता योग्य नहीं है।यह अपराध असंज्ञेय एंव जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।
सजा:- धारा 294 (क) के अपराध को दो भागों में बांटा गया है-
1. उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार क्रमांक 1,2,3,4 का अपराध लाटरी कार्यालय रखने का अपराध के अंतर्गत आता है इसके लिए 6 माह की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
2. अपराध क्रमांक(5). लाटरी संबंधित प्रस्ताव को छापना या प्रकाशित करना अपराध के लिए एक हजार रुपए का जुर्माना।
*राज्य संशोधन:-* उत्तर प्रदेश राज्य में यथा प्रयोज्य भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 294 (क) को निकल दी जाएगी।
उधारानुसार वाद- शेष अय्यर बनाम कृष्णा अय्यर- एक मंदिर के निर्माण के लिए धन राशि एकत्रित करनी थी। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक योजना बनाई गई। इस योजना में कुल 625 सदस्य थे तथा प्रत्येक सदस्य को प्रति माह तीन रुपये के हिसाब से 50 माह तक चंदा देना था और यह व्यवस्था भी की प्रत्येक को प्रति माह के अंत में 625 सदस्य के नाम मे से एक का नाम चिट द्वारा निकाला जाएगा जिसे 150 रुपये देना होगा फंड को ओर वह अगले महीने के लिए चंदा नहीं देगा। यह चिट फण्ड योजना अगले 50 माह तक चलेगी। परंतु न्यायालय द्वारा इस योजना को धारा 294(क) के अंतर्गत लाटरी माना गया ओर सभी सदस्य आरोपी को दंडित किया गया।
नोट:- लेकिन महिलाओं द्वारा खेला जाने वाला चिट फण्ड अपराध नहीं होता है क्योंकि वह फण्ड किसी अन्य महिला को उसकी आर्थिक परेशानी को दूर करने के लिए दिया जाता है।
बी. आर.अहिरवार होशंगाबाद (पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665