यह तो सभी जानते हैं कि बलात्कार के मामले में पीड़ित महिला का नाम सार्वजनिक नहीं किया जा सकता परंतु कभी-कभी बलात्कार पीड़िता का नाम सार्वजनिक कर भी दिया जाता है। कई बार ऐसा भी होता है जब रेप पीड़ित महिला खुद सबके सामने आ जाती है। सवाल यह है कि क्या मीडिया और सोशल मीडिया किसी भी स्थिति में बलात्कार पीड़िता का नाम/ पहचान सार्वजनिक नहीं कर सकते, या फिर कुछ विशेष परिस्थितियां ऐसी भी हैं जबकि दुष्कर्म से पीड़ित लड़की का नाम/ पहचान सार्वजनिक किया जा सकता है। आइए जानते हैं:-
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 228 क की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति द्वारा ऐसे व्यक्ति की जानकारी लिखेगा या छापेगा (मुद्रित या प्रकाशन) करेगा जो व्यक्ति बलात्कार से संबंधित धारा से पीड़ित हैं या कतिपय अपराधी से पीड़ित व्यक्ति की पहचान का प्रकाशन या मुद्रित करेगा। ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 228 (क) के अंतर्गत दोषी होगा।
निम्न प्रकार का मुद्रण या प्रकाशन अपराध नहीं:-
1. अगर पुलिस थाने का अधिकारी ऐसे अपराध की जांच करता है या किसी लिखित आदेश के अधीन सदभावपूर्वक जांच करता है तब।
2. पीड़ित व्यक्ति द्वारा प्राधिकार से किया जाता है तब।
3. अगर पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु हो गई हो, या अवयस्क या विकृतचित हो तब उसके संबंधित द्वारा लिखित तौर पर प्राधिकार से किया जाता हैं तब।
【नोट:- अगर किसी न्यायालय के समक्ष किसी कार्यवाही के संबंध में कोई बात, उस न्यायालय के आदेश के बिना मुद्रित या प्रकाशित करेगा। वह भी धारा 228 (क) के अंतर्गत दोषी होगा।】
दण्ड का प्रावधान:- इस धारा के अपराध संज्ञये एवं जमानतीय अपराध होते है। इनकी सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। सजा- दो वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665