ओवरलोड बस का चालान बनता है, ओवरलोड नाव का क्या होता है, यहां पढ़िए / ABOUT IPC

Bhopal Samachar
आज कल हम देखते है कि लोगो को नदियों, तालाबों, समुद्र आदि में जलयान (नाव या बोटिंग) के माध्यम से घूमना बहुत पसंद है। कभी-कभी ऐसा हो जाता है कि किसी भी जलयान में सवारी (यात्री) बैठने की संख्या 25 हैं, और उसमें जबरदस्ती 35 यात्रियों को बैठा दिया जाए जिससे जलयान में अधिक भार हो जाता है, और नाव डूबने लगे जिससे यात्रियों का जीवन संकट में हो जाए ऐसा कार्य होना भी एक दण्डिनीय अपराध होता है।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 282 की परिभाषा:-

अगर कोई व्यक्ति या जलयान चालक जानबूझकर निम्न कृत्य करेगा जिससे कि मानव जीवन संकट में हो।
1. जलयान (नाव, बोटिंग, जहाज आदि) में आवश्कता से अधिक भार(वजन) का सामान रखेगा।
2. जलयानों में आवश्कता से अधिक व्यक्ति या यात्रियों को बैठाएगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 282 में दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध किसी भी तरह से समझौता योग्य नहीं होते हैं।यह अपराध संज्ञये एवं जमानतीय अपराध होते है।इनकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती हैं। सजा- छ:माह की कारावास या एक हजार रुपये जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है

उधारानुसार वाद:- सम्राट बनाम खोड़ा जगता- एक किनारे से दूसरे किनारे यात्री लाने-ले जाने में नाव के नाविक ने अपने दो साथियों की सहायता से नाव में एक सौ सवारियां भर ली जब कि उन्हें यह जानकारी थी कि नाव पूरी तरह सुरक्षित नहीं है और नाव में एक दरार भी पड़ गई थी। जिसके परिणामस्वरूप नाव बीच मार्ग में ही डगमगाने लगी जिसके कारण सात यात्री डूब गये।इस अपराध के लिए नाविक तथा उसके दो साथियों को धारा 282 के अंतर्गत दण्डित किया गया।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665

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