एक व्यक्ति जब शासकीय सेवा के लिए आवेदन करता है तो उसमें वह शासन की सभी शर्तों को स्वीकार करता है। कर्मचारी शासन का सेवक होता है। उसकी नियुक्ति किसी एक कार्यालय, जिला या संभागीय क्षेत्र के लिए नहीं होती। सरकारी कर्मचारी का ट्रांसफर एक शासकीय व्यवस्था है। शासन को जिस स्थान पर कर्मचारी की आवश्यकता होती है, ट्रांसफर किया जा सकता है। फिर क्या कारण है कि जब एक शासकीय कर्मचारी अपने तबादला आदेश के खिलाफ न्यायालय में याचिका दाखिल करता है तो न्यायालय ना केवल उसकी याचिका को स्वीकार करता है बल्कि उसके तबादले को स्थगित कर देता है।
श्री अमित चतुर्वेदी, अधिवक्ता उच्च न्यायालय, जबलपुर बताते हैं कि निम्नलिखित कारणों से सामान्य स्थानांतरण आदेश न्यायिक अनुवीक्षण के आधीन आ सकते हैं।
1)ट्रांसफर करने शक्तियों का न्यायपूर्ण या उचित क्रियान्वयन नही किया जाना।
2) स्थानांतरण से द्वेष परिलक्षित होना।
3) ट्रांसफर में प्रशासनिक आवश्यकता की अनुपस्थिति परिलक्षित होना।
4) बाहरी निर्देश या दबाब, ट्रांसफर के पीछे परिलक्षित होना।
5) विहित कार्यकाल के पूर्व ट्रांसफर का किया जाना।
6) दंड स्वरूप ट्रांसफर किया जाना।
7) किसी अन्य व्यक्ति को, पीड़ित व्यक्ति के स्थान पर प्रतिस्थापित करने के उद्देश्य से, स्थानांतरण का किया जाना।
8) सक्षम अधिकारी के अतिरिक्त, अन्य किसी अधिकारी द्वारा , शक्तियों के प्रत्यायोजन के बिना, कर्मचारियों का स्थानांतरण किया जाना।
9) संवर्ग के बाहर ट्रांसफर का किया जाना।
10) सेवा नियमों के अतिक्रमण में (अधिनियम के रूप में) ट्रांसफर किया जाना। दूसरे शब्दों में, जहां ,सेवा नियम ट्रांसफर को प्रतिबंधित करते हों, या ट्रांसफर के परिणामस्वरूप वरिष्ठता का हनन या समाप्ति होना।
उपरोक्त जानकारी न्यायलयीन प्रकरणों के तथ्यों के आधार पर है, स्थानांतरण, सरकारी सेवा की एक आवश्यक शर्त है, जो कि नियुक्ति के समय ही कर्मचारी स्वीकार करता है। प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर, ट्रांसफर करना शासन का अधिकार है।