भोपाल। राजधानी भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल 'हमीदिया हॉस्पिटल' में त्वचा रोगियों की संख्या में अचानक वृद्धि हो गई है। डॉक्टरों का कहना है कि मिलावटी एवं नकली सैनिटाइजर का उपयोग करने के कारण लोगों की स्क्रीन खराब हो रही है।
सैनिटाइजर के अत्यधिक उपयोग से क्या होता है
कोरोना से बचने के लिए लोग बार-बार अपने हाथों पर सैनिटाइजर लगाते हैं। इससे कई लोग त्वचा रोगों से परेशान हैं। कोलार निवासी नीलम जोशी ने बताया कि वह बार-बार हाथों को सैनिटाइज करती है। इससे हाथ की त्वचा रूखी हो गई है। वहीं खुजली भी चलती है। त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमित सोनी ने बताया कि सैनिटाइजर में अल्कोहल की मात्रा अधिक रहती है। इससे त्वचा संबंधित रोग हो रहे हैं। सस्ते दाम पर मिलने वाले सैनिटाइजर में पानी व केमिकल भी मिलाया जाता है। यह अधिक नुकसान कर सकता है। त्वचा में सूखापन व अन्य रोग हो सकते हैं। वहीं वायरस का संक्रमण रोकने में भी उतने सक्षम नहीं रहते।
गली-गली में ब्रेड और बिस्किट के साथ उपलब्ध है सैनिटाइजर
मप्र केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन ने नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन भोपाल को आवेदन देकर कार्रवाई करने की मांग की है। बताया कि प्रदेश में 28 हजार 565 दवा विक्रेता है। वे मास्क, ग्लब्स व सैनिटाइजर की उपलब्धता बनाए हुए हैं लेकिन महामारी का फायदा उठाकर कई लोग गली-गली में अल्कोहल मिश्रित अमानक सैनिटाइजर बेच रहे हैं। इसकी न तो कोई विश्वनीयता है और न ही कोई प्रमाण कि यह वायरस को खत्म करने में समक्ष है। तुरंत खरीदी-बिक्री रोकी जाए।