दुष्काल : हाय हाय ये मजबूरी ! / EDITORIAL by Rakesh Dubey

NEWS ROOM
लगता है कोरोना संक्रमण से लड़ाई में विज्ञान पिछड़ने लगा है सारा विश्व आज तक इस कोरोना से दो-दो हाथ तो कर रहा है, परंतु आज तक कोई भी यह कहने की स्थिति में नहीं है कि उसने इस वायरस का उपचार ढूँढ़ लिया है। भारत भी बचाव पद्धति से आगे नहीं बढ सका केंद्र और राज्य सरकारों की कोशिशों तथा स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनत के बावजूद कोरोना वायरस से संक्रमित होनेवाले लोगों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है गंभीर रूप से बीमार और मृतकों की संख्या भी चिंताजनक है क्षोभ का विषय तो यह है कि आज भी देश के बहुत सारे सरकारी अस्पतालों में प्रबंध संतोषजनक नहीं हैं, ऊपर से से निजी अस्पतालों के महंगे उपचार ने भी परेशानी बढ़ा दी है

सरकार और निजी अस्पतालों की जुगलबंदी ने व्यापार की निचली पराकाष्ठा को भी मात कर दी है इसमें कोई दो राय नहीं है कि मानव की जीवनी शक्ति और लक्ष्ण आधारित उपचार ने बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमण से छूटकारा दिलाया है सटीक टीका और दवाई उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में दी जा रही दवाओं के साथ वैकल्पिक दवाओं को अपनाने के अलावा किसी के पास कोई चारा नहीं है

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 वायरस के संक्रमण की स्थिति में रेमडेसिविर नामक एंटी वायरल दावा के इस्तेमाल को मंजूरी दी है इससे पहले हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन देने की इजाजत दी गयी थी अब मंत्रालय ने पहले के निर्देश को संशोधित करते हुए कहा है कि मलेरिया की रोकथाम के लिए उपयोग होनेवाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन संक्रमण के शुरुआती दौर में दी जा सकेगी अब गंभीर रूप से संक्रमितों को यह दवा नहीं दी जायेगी ताकि इसके दुष्प्रभाव की आशंका को रोका जा सके

यह भी जानना जरूरी है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के साथ दी जानेवाली एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन को उपचार विधि से हटा लिया गया है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के असर और उसके उलटे नतीजों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ विशेषज्ञों ने आपत्ति जतायी है, इसके प्रभावी होने को लेकर भी चिकत्सीय दुनिया में अनेक दावे हैं| किसी निश्चित समझ के अभाव में सरकार ने फैसला किया है कि इस दवा को इलाज से हटाया नहीं जायेगा, पर उसके इस्तेमाल में बदलाव किया गया है

स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद वैश्विक स्तर पर बने सिद्धांतों के मुताबिक उपलब्ध शोध निष्कर्षों के आधार पर दवाइयों के इस्तेमाल से जुड़े फैसले करते हैं

चूंकि कोरोना वायरस से आज दो सौ से अधिक देश और इलाके प्रभावित हैं और चार लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, सो कई देशों में संक्रमण की रोकथाम तथा संक्रमितों के संभावित उपचार पर लगातार अनुसंधान हो रहे हैं। ये अनुसंधान केवल टीकों की खोज तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि मौजूदा दवाइयों के इस्तेमाल को लेकर भी विशेषज्ञ प्रयोग में लगे हैं| अस्पतालों की रिपोर्टों का भी गंभीरता से अध्ययन किया जा रहा है| सबकी शक की सूइयां चीन की तरफ है पर कोई दबाव काम नहीं आ रहा है

ऐसे हालात और ताजा निष्कर्षों पर अमल कर वायरस को काबू करने की कोशिश में नयी दवा के इस्तेमाल पर मुहर लगाकर भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जरूरी पहल की है इस तथ्य को सब भलीभांति जानते हैं कि किसी भी स्थिति में समुचित चिकित्सकीय परामर्श या स्वास्थ्यकर्मियों की सलाह के बिना किसी भी दवा का सेवन ठीक नहीं है यह बात कोरोना संक्रमण और उसके इलाज में दी जा रही दवाओं पर भी लागू होती है निर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि दवा और उसकी मात्रा के बारे में चिकित्सक ही फैसला करेंगे उम्मीद है कि इस ताजा पहल से संक्रमितों के उपचार में मदद मिलेगी इसका यह अर्थ कदापि ठीक नहीं है कि शोध बंद कर दें, सारे विश्व के साथ भारत इस मामले की दवा और कोरोना वायरस के मूल की खोज जारी रखे, आगामी चेतावनी और परिदृश्य भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के लिए खतरनाक है

आंसू आंसू साजिश होती रहती है
हर मौसम में अब बारिश होती रहती है
देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!