शासकीय कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई कब की जा सकती है / EMPLOYEE and LAW

Bhopal Samachar
अनुशासनात्मक कार्यवाही एक ऐसे हंटर का नाम है जो हमेशा साहब के हाथ में होता है और कर्मचारी की पीठ पर पड़ता है। कुछ डिपार्टमेंट तो ऐसे हैं जहां Disciplinary Action का डर दिखाकर कर्मचारी को बंधुआ मजदूर या फिर जरखरीद गुलाम बना दिया जाता है। कर्मचारी से वह काम करवाए जाते हैं जिसके लिए उसकी नियुक्ति ही नहीं हुई। क्योंकि तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं होते और नियमों की जानकारी नहीं रखते इसलिए आने वाले हर बॉस की प्रताड़ना है सहन करते रहते हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि वह कौन सी परिस्थितियां होती है जब किसी कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है:-

एडवोकेट श्री अमित चतुर्वेदी जो मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर में प्रैक्टिस करते हैं, बताते हैं कि किसी भी शासकीय कर्मचारी के विरूद्ध निम्नलिखित परिस्थितियों में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है:-
1)जब किसी कर्मचारी द्वारा, अपने किसी कृत्य द्वारा, पद से जुड़ी साख, सत्यनिष्ठा, सद्भाव एवं कर्तव्य के प्रति निष्ठा को हानि पहुंचाई जाती है।
2)जब किसी कर्मचारी के विरुद्ध, कर्तव्य निर्वहन के दौरान, लापरवाही एवं कदाचार के प्रथमदृष्टया तत्व मौजूद होते हैं।
3)जब किसी शासकीय कर्मचारी द्वारा, ऐसा कार्य किया जाता है, जो उसके लिए अनुपयुक्त हों।

4)जब किसी शासकीय कर्मचारी द्वारा, किसी विधिक शक्ति के क्रियान्वयन हेतु अधिरोपित शर्त को विलोपित किया गया हो या असावधानी पूर्वक कार्य किया गया हो।
5)जब किसी शासकीय कर्मचारी द्वारा, भ्रष्ट उद्देश्य से प्रेरित होकर कार्य किया गया हो।

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