सरकारी दफ्तरों में सामान्य बोलचाल की भाषा में सिर्फ दो ही वर्ग होते हैं। पहला अधिकारी और दूसरा कर्मचारी। अक्सर देखा जाता है कि कोई भी अधिकारी किसी भी कर्मचारी को ना केवल नियंत्रित करता है बल्कि कई बार नोटिस देकर जवाब तलब करता है, सस्पेंड कर देता है, विभागीय कार्रवाई करता है और कभी-कभी तो सेवा से बर्खास्त भी कर देता है। सवाल यह है कि क्या कोई भी अधिकारी किसी भी कर्मचारी को जांच/ दंडित या फिर बर्खास्त कर सकता है। आइए जानते हैं कानून क्या कहता है:-
एडवोकेट अमित चतुर्वेदी (मध्य प्रदेश हाई कोर्ट, जबलपुर) बताते हैं कि किसी भी नियुक्ति अधिकारी में नियुक्ति प्रदान करने की शक्तियों के अतिरिक्त, उसके अधीन कार्यरत कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक एवं विभागीय कार्यवाही करने की शक्तियां भी निहित होती हैं। दूसरे शब्दों मे, नियुक्ति अधिकारी भी अनुशासनात्मक अधिकारी हो सकता है या होता है। नियुक्ति प्राधिकारी की कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की शक्तियां, न्यायालीन निर्णयों के प्रकाश में निम्न प्रकार से देखी जा सकती है
1) सेवा या पद से पदच्युत किया जाना एवं सेवा समाप्ति जैसी, अनुशासनात्मक कार्यवाही, नियुक्ति प्राधिकारी के अधीनस्थ अधिकारी द्वारा नही की जा सकती है।
2)उपरोक्त संबंध में अधीनस्थता का तात्पर्य, पद/ओहदा/स्थिति है, ना कि शक्तियों के क्रियान्वयन से।
3)जब किसी शासकीय कर्मचारी की नियुक्ति एक अधिकारी द्वारा की जाती तत्पश्चात, उसी पद पर नियुक्ति का अधिकार, किसी अधीनस्थ अधिकारी को स्थानांतरित कर दिया जाता है। दूसरे शब्दों मे, पूर्व अधिकारी से कम रैंक वाले अधिकारी को उसी पद पर नियुक्ति का अधिकार दे दिया जाता है। उपरोक्त परिस्थिति में, कम रैंक वाले अधिकारी द्वारा कर्मचारी को सेवा से डिसमिस नही किया जा सकता है।
4) अन्य विभाग या सरकार में स्थानांतरण की स्थिति में, दूसरे विभाग मे, समान पद वाले अधिकारी द्वारा, अपचारी कर्मचारी को ,विधि।की सम्यक प्रक्रिया पूर्ण करने के पश्चात, पद से पदच्युत किया जा सकता है।
5) स्थापन्न रूप से या प्रभारी के रूप में कार्य करने वाले अधिकारी /प्राधिकारी द्वारा, अनुशासनात्मक अधिकारी की शक्तियों का प्रयोग नही किया जा सकता है। तदानुसार, शस्ति भी अधिरोपित नही की जा सकती है।