रास्ता रोकने पर कौन सी धारा लगती है
अक्सर देखा गया है कि कोई व्यक्ति बिना किसी उचित कारण के सड़क पर सुगम यातायात में बाधा उत्पन्न कर देते हैं। जिससे आने जाने वाले व्यक्ति या वाहनों को रुकना पड़ता है। कभी कभी तो कोई वाहन चालक बीच रोड पर ही आपने वाहन को खड़ा कर देता है उस खड़े वाहन के कारण सार्वजनिक रोड पर जाम लग जाए। तब उस जाम लगाने वाले व्यक्ति के ऊपर भी मुकदमा दायर कर सकते हैं।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 283 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर कर या उतावलेपन के कारण निम्न कार्य करता है तब वह इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा-
1. कोई भी सार्वजनिक सड़क (लोक-मार्ग) या जलमार्ग में रुकावट (अवरोध) खडा करेगा जिससे वाहन को निकलने में परेशानी उत्पन्न हो।
2. किसी भी सार्वजनिक रास्ते में जमा लगाएगा जिससे व्यक्ति को परेशानी उत्पन्न हो रही हो।
3. किसी भी प्रकार के वाहन या जलयानों के द्वारा सार्वजनिक सड़क या नदियां या जल में जमा लगाए जिससे जनसाधारण को परेशानी उत्पन्न हो।
4. किसी भी सार्वजनिक रास्ते को रोक कर आपने कब्जे में करना जिससे आने जाने वाले व्यक्ति को परेशानी उत्पन्न हो।
नोट- यह धारा प्राइवेट रास्ते और आपसी सहमति से खेत में बनाये गए रास्ते पर लागू नहीं होती है।
आईपीसी की धारा 283 के तहत दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध संज्ञेय अपराध एवं जमानतीय होता है। इसकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती हैं। इस अपराध के लिए दो सौ रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।
【 इस धारा में किए गए अपराध की सजा एवं जुर्माने को बढ़ाने को लेकर कुछ विधि विशेषज्ञ द्वारा अपील की जा रही है।】
उधारानुसार- सार्वजनिक रास्ते के किनारे निवास कर रहे किसी व्यक्ति ने अपने मकान की खिड़कियों में पुतले टांग रखे थे, जिनके कारण उन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई।ओर फुटपाथ पर चलने वाले या सार्वजनिक सड़क पर चलने वाले व्यक्ति को बाधा पहुंचे तो मकान में रहने वाला व्यक्ति धारा 283 के अंतर्गत दोषी ठहराया जाएगा।
बी. आर.अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665