मिलावटखोर के खिलाफ थाने में FIR भी दर्ज करा सकते हैं, क्या आप जानते हैं / ABOUT IPC

Bhopal Samachar
मिलावट के मामलों में ज्यादातर लोग शिकायत इसलिए नहीं करते क्योंकि मिलावट की शिकायत कलेक्ट्रेट में स्थित खाद्य अधिकारी के कार्यालय में करनी होती है और खाद्य अधिकारी कभी अपने चेंबर में नहीं मिलता। मिलता है तो शिकायत नहीं लेता और शिकायत देता है तो कार्यवाही नहीं होती लेकिन क्या आप जानते हैं मिलावट खोर के खिलाफ पुलिस थाने में भी मामला दर्ज कराया जा सकता है। हम आपको बताते हैं कि भारतीय दंड संहिता की किन धाराओं के तहत मिलावट करना एक गंभीर अपराध है और मिलावट खोरी के खिलाफ जंग में आपको किसी ऐसे प्रशासनिक अधिकारी की मदद की जरूरत नहीं है जिस की उपलब्धता आसान नहीं है।

क्या है खाद्य पदार्थ एवं पेय पदार्थ:-

1. खाद्य पदार्थ- वे पदार्थ जिसका प्रयोग हम भोजन के रूप में करते हैं जैसे- अनाज, दाल, तेल, सब्जिया, दूध और दूध से बने सभी तरह के पदार्थ, मास, मछली, अण्डा आदि।
2. पेय पदार्थ- वे पदार्थ जो पीने या ठंडक के लिए प्रयोग किए जाते हैं जैसे- नीबू पानी, जूस, शर्बत, कोल्डड्रिंक आदि।

क्या है खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954:-

खाद्य एवं पेय वस्तुओं के बड़े पैमाने पर हो रही मिलावट की वारदातों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 पारित किया जो भारत में 1 जून 1955 से प्रभावी हुआ। इस व्यापक विधायन द्वारा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक एवं नुकसान पहुंचाने खाद्य एवं पेय पदार्थों के क्रय-विक्रय पर पूर्ण पाबंदी लगाई गई हैं। और इस तरह के कृत्य को भारतीय दण्ड विधान में अपराध मना गया है।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 272 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति द्वारा निम्न कृत्य किए जा रहे हैं वो इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा:-
1. कोई भी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ में कोई हानिकारक या नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ का अल्प मात्रा में मिलाएगा जिससे उसको खाने या पीने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य को नुकसान होने या हानि पहुंचाने की संभावना हो।
2. मिलावट, खाद्य पदार्थ एवं पेय पदार्थ में की गई हो जिससे वह खाद्य एवं पेय पदार्थ हानिकारक बन जाए।और उसे बेचने बाजार में बेचने का उद्देश्य बना रहा हो।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 273 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति मिलावटी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ को बेचता या विक्रय करता है जिससे लोगों के स्वास्थ्य को  हानि  या नुकसान पहुंचा हो। तब वह बेचने वाला व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दंडनीय होगा।

निम्न कार्य पर यह धारा लागू नहीं होती है:-
दूध में पानी मिलना,घी में चर्बी मिलना, मिठाई में वेशन मिलना,गेहूं मे धूल,कंकड़, डंठल आदि मिलना अपराध नहीं है इससे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव नहीं पड़ता है।
【नोट:- इस धारा के अपराध होने के लिए मिलाए गए पदार्थ से व्यक्ति के स्वास्थ्य को हानि होना आवश्यक है।तभी इस धारा का अपराध घटित होता है।】

दण्ड का प्रावधान:-
धारा 272 एवं धारा 273 के अपराध संज्ञये एवं असंज्ञेय दोनो प्रकार के होते है और जमानतीय और अजामन्तीय दोनों प्रकार के होते हैं। दोनो धाराओं के अपराध की दण्ड की सजा को तीन भागों में विभाज है:-
1.कुछ राज्यों में धारा 272 एवं 273 के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध है एवं किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा इनकी सुनवाई हो सकती हैं। सजा- उपयुक्त दोनों धारा में 6- 6 माह की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता हैं।
2. उपयुक्त दोनो धारा के अपराध मध्यप्रदेश राज्य प्रस्तावित विधेयक संशोधन 2014 के अनुसार यह अपराध संज्ञये एवं अजामन्तीय अपराध होगा। इनकी सुनवाई सेशन न्यायालय द्वारा पूरी होगी। सजा- उपयुक्त दोनो धारा के अपराध में आजीवन कारावास जुर्माने के साथ या जुर्माने के बिना।
3.उपयुक्त दोनो धारा के अपराध में राज्य संशोधन उत्तर प्रदेश एवं पशिचम बंगाल में संज्ञये एवं गैर जमानतीय अपराध है। इनकी सुनवाई  सेशन न्यायालय द्वारा की जाती हैं। सजा- उपयुक्त दोनो धारा के अपराध में आजीवन कारावास जुर्माने के साथ या जुर्माने के बिना।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665

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