पिछले लेख में हमने आपको बताया था कि किसी भी खाद्य या पेय पदार्थ में मिलावट करना और उसका विक्रय करना किस धारा के अंतर्गत एक दण्डिनीय अपराध है। आज के लेख में हम आपको जानकारी देंगे की किसी औषधि में मिलावट करके उसको कमजोर बनाना या नुकसान दायक बनाना और मिलावटी दवाइयों की बिक्री करना किस धारा के अंतर्गत दण्डिनीय अपराध है। ज्यादातर लोगों को इसके बारे में जानकारी ही नहीं होती। वह अपनी शिकायत लेकर पुलिस थाने जाते ही नहीं। यदि कभी कोई चला जाए तो पुलिस उसे दरवाजे से वापस लौटा देती है। कहती है यह मामला पुलिस के हस्तक्षेप के योग्य नहीं है। इसलिए जरूरी है कि इसे ध्यान पूर्वक पढ़ा और समझा जाए। ताकि सनद रहे और वक्त जरूरत काम आवे।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 274 की परिभाषा:-
किसी व्यक्ति द्वारा दवाइयों में मिलावट की जाती हैं, इस उद्देश्य की उसकी गुणवत्ता में कमी आ जाए और औषिधिक प्रभाव कम हो जाये या हानिकारक बन जाए जिससे मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़े।ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत अपराधी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 275 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति ऐसी दवाइयों या औषिधियो का विक्रय करता है। जो किसी तरह से मिलावटी हैं। जिसको लेने से व्यक्ति के स्वस्थ को हानि या नुकसान पहुंचाने की संभावना है। या हो जाती है। तब वह दवाई या औषिधि बेचने वाला व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दण्डिनीय होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 274 एवं धारा 275 में दण्ड का प्रावधान:-
धारा 275 एवं धारा 275 के अपराध संज्ञये एवं असंज्ञेय दोनो प्रकार के होते है और जमानतीय और अजामन्तीय दोनों प्रकार के होते हैं। दोनो धाराओं के अपराध की दण्ड की सजा को तीन भागों में विभाज है:-
1.कुछ राज्यों में धारा 272 एवं 273 के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध है एवं किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा इनकी सुनवाई हो सकती हैं। सजा- उपयुक्त दोनों धारा में 6- 6 माह की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता हैं।
2. उपयुक्त दोनो धारा के अपराध मध्यप्रदेश राज्य प्रस्तावित विधेयक संशोधन 2014 के अनुसार यह अपराध संज्ञये एवं अजामन्तीय अपराध होगा। इनकी सुनवाई सेशन न्यायालय द्वारा पूरी होगी। सजा- उपयुक्त दोनो धारा के अपराध में आजीवन कारावास जुर्माने के साथ या जुर्माने के बिना।
3.उपयुक्त दोनो धारा के अपराध में राज्य संशोधन उत्तर प्रदेश एवं पशिचम बंगाल में संज्ञये एवं गैर जमानतीय अपराध है। इनकी सुनवाई सेशन न्यायालय द्वारा की जाती हैं। सजा- उपयुक्त दोनो धारा के अपराध में आजीवन कारावास जुर्माने के साथ या जुर्माने के बिना।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665