पिछले दिनों हमने आपको बताया था कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा अनजाने में कोई ऐसा काम हो जाता है जिससे किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो उसे अपराध नहीं माना जाता लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि इससे मिलती-जुलती घटनाओं में व्यक्ति को दोषी भी माना जाता है। वह तब आना जाता है जब एक व्यक्ति की असावधानी के कारण कुछ ऐसी घटना घटित हो जाए जिसके चलते किसी दूसरे व्यक्ति की मृत्यु हो जाए, तब असावधानी का दोषी व्यक्ति दंड का पात्र होता है। ज्यादातर लोग दोनों ही मामलों को दुर्घटना कहते हैं परंतु दुर्घटना और असावधानी के कारण घटी घटना में अंतर है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 304(क) की परिभाषा:-
किसी व्यक्ति द्वारा उतावलेपन या असावधानी से किया गया कोई भी ऐसा कार्य जिससे किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु हो जाए। तब ऐसा उतावलेपन या असावधानी कार्य करने वाला व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत अपराध से दण्डिनीय होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 304(क) में दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी तरह से समझौता योग्य नहीं होते हैं। यह अपराध संज्ञये एवं जमानतीय अपराध है। जिनकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती हैं।
सजा- दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दंडित किया जा सकता है।
*उधारानुसार वाद:-* रतन सिंह बनाम पंजाब राज्य- ट्रक ड्राइवर के उतावलेपन और असावधानी से ट्रक चलाने के कारण एक घातक दुर्घटना हुई जिससे एक व्यक्ति मारा गया। इस अपराध के लिए आरोपी को धारा 304-क, के अंतर्गत दो वर्ष के कठोर कारावास से दंडित किया गया। आरोपी ने पुनः इस अपराध से बचने के लिए न्यायालय में याचिका लगाई लेकिन न्यायालय ने स्पष्ट माना कर दिया कि आरोपी पर उतावलेपन एवं असावधानी वाहन चलाया जाना पूर्णतः साबित हो चुका है।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद (पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665