हिंदू धर्म के प्राचीन शास्त्रों में शिव उपासना के लिए शिवलिंग पूजा की मर्यादाएं भी निर्धारित है। इसकी जानकारी के अभाव में कुछ देव अपराध हो जाते हैं। शिवलिंग परिक्रमा भी शिव पूजा विधि का एक अंग है। यहां जानिए क्या है शिवलिंग परिक्रमा की मर्यादाएं -
शास्त्रानुसार शिवलिंग की परिक्रमा कैसे करें
शिवलिंग का अभिषेक एवं श्रंगार के उपरांत शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बांई ओर से शुरू कर वेदी/जलाधारी के आगे निकले हुए भाग (जहां से भगवान शिव को चढ़ाया जल बाहर निकलता है) तक जाकर फिर विपरीत दिशा में लौट दूसरे सिरे तक आकर परिक्रमा पूरी करें। इसे शिवलिंग की आधी परिक्रमा भी कहा जाता है।
शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करने पर क्या हो सकता है
शिवलिंग की वेदी/जलाधारी या अरघा के मुख से निकलने वाली धारा को लांघना नहीं चाहिए, क्योंकि माना जाता है कि उस स्थान पर ऊर्जा और शक्ति का भंडार होता है। अगर शिवलिंग की परिक्रमा के दौरान जलाधारी को लांघा जाएगा तो आपके शरीर के ऊर्जा और शक्ति के केंद्र प्रभावित हो सकते हैं। कुछ कथाओं में शिवलिंग की वेदी लांघने वाला संतान उत्पत्ति की योग्यता खो देता है। इसलिए जब भी शिवलिंग पूजा करें, इस बात का ध्यान रखकर अनजाने में होने वाले इस देव दोष से बचें। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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