हमने कई प्राचीन कथाओं में देखा है। देवताओं के सौंदर्य का शब्दों में वर्णन पढ़ा है। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण हजारों साल पहले पत्थरों पर बनाए गए चित्र भी देखे हैं। एक बात स्पष्ट है दुनिया में जब रेजर नहीं थे लोग तब भी दाढ़ी बनाते थे। कटिंग और सेविंग इंसानी सभ्यता के प्रतीक चिन्ह है। सवाल यह है कि जब दुनिया में दाढ़ी बनाने वाले ब्लेड का आविष्कार नहीं हुआ था तो लोग शेविंग कैसे करते थे।
दाढ़ी बनाने वाले ब्लेड का आविष्कार कब हुआ
यह तो हम जानते ही हैं कि दुनिया में दाढ़ी बनाने वाले ब्लेड का आविष्कार सन 1901 में जिलेट नाम की कंपनी ने किया था। आपको याद होगा इससे कई साल पहले सिकंदर ने अपनी समस्त सेना को बिना दाढ़ी के रहने का फ़रमान जारी कर रखा था। कारण कि युद्ध के समय दुश्मनों के हाथ, सिकंदर के सैनिकों को दाढ़ी से ना पकड़ सकें। सिकंदर ख़ुद भी क्लीन शेव रहता था। ये कहा जा सकता है कि शेविंग का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना की मानव सभ्यता का। यह पाषाण क़ालीन सभ्यता से चला आ रहा है।
हर काल में पुरुषों द्वारा दाढ़ी हटाने की ज़रूरत निजी पसन्द के अलावा, कभी ज़रूरत, कभी सांस्कृतिक मान्यता, तो कभी प्रचलित फ़ैशन पर निर्भर रही है। आज हमारे पास इस कार्य के लिये आधुनिक रेज़र और इलेक्ट्रिक शेवर उपलब्ध हैं। पर प्राचीन काल का क्या जब मनुष्य को यह सभी उपकरण उपलब्ध नहीं थे? आइये देखते हैं प्राचीन काल के पुरुषों द्वारा दाढ़ी हटाने के लिए अपनाए गए तौर तरीक़ों को:-
चकमक पत्थर (Flint-फ़्लिंट)
पाषाण काल यह पत्थर घिस घिस कर, छीलन कर धारदार बना लिये जाते थे। इन्हें दैनिक ज़रूरतों के हिसाब से अलग अलग आकारों में ढाल लिया जाता था। क्लीन शेव रहना उस समय उदेश्य नहीं हुआ करता था। बस इतना कि दाढ़ी के बालों को इतना छोटा कर लिया जाये कि ताकि उन पर पसीना जमा ना हो कर संक्रमण पैदा ना करे। आज भी कुछ आदिवासी प्रजातियाँ इन पत्थरों से बने धारधार वस्तुओं का प्रयोग करती हैं।
सीपियाँ (Seashell - सीशैल)
दो सीपियों को मिला कर उन्हें चिमटी (Tweezer - ट्वीज़र) का रूप दे दिया जाता था। अनचाहे बालों को हटाने का उस समय यह काफ़ी प्रचलित तरीक़ा हुआ करता था। क्लैमशैल (ClamShell) भी विशेष रूप से काम में ली जाती थी।
धातु (Metal - मैटल) से बने औज़ार
जब और सभ्यता का विकास हुआ तो मानव कांस्य युग (Bronze Age - ब्रॉंज़ एज) में आया।अब धातू से बनी धारधार वस्तुऐं, पत्थरों के मुक़ाबले ज़्यादा टिकाऊ हुआ करती थी। अनचाहे बालों को हटाने के लिये भिन्न भिन्न तरह के औज़ार बनाये गए।
इन सभी औज़ारों का उल्लेख मिस्त्र (Egyptian - इजिप्शन) सभ्यता में मिलता है। शेव करने की ये वस्तुऐं मिस्त्र के मक़बरों में पायी गयी। उस समय मिस्त्र निवासियों के मरने के पश्चात, यह वस्तुएँ भी उसकी मृत देह के साथ दफ़न कर दी जाती थी।
सभ्यता के विकास के साथ साथ फिर अन्य औज़ार भी विकसित हुए, जिन्हें आधुनिक समय के रेज़र की नींव कह सकते हैं। यह सभी मुख्यतः रोम के निवासियों द्वारा प्रयोग में लिये गये।
इस समय तक साबुन का आविष्कार भी हो चुका था। नाई की दुकानें (Barbar Shop - बार्बर शॉप) प्रचलन में आने लग गयी थी। गीली शेव (Wet Shaving - वैट शेविंग) का चलन भी इसी समय का माना जाता है। नाई, उस समय, शेव करने से पहले, गरम पानी में भीगा तौलिया चेहरे पर रखा करते थे।
उस्तरा (Straight razor -स्ट्रेट रेज़र)
1700 वीं शताब्दी तक आते आते उस्तरे का अविष्कार हो चुका था। यह शेफ़ील्ड, इंग्लैंड ( Sheffield, England) में निर्मित किया गया था। वहाँ से यह प्रचलित होते होते विश्व के अन्य भागों में पहुँचा। 1740 तक यह उस्तरा, स्टील में भी बनाया जाने लगा, जिसने लोहे से बने उस्तरे को हर शेव से पहले घिसने की समस्या से छुटकारा दिलाया था।
उस्तरे का यह स्वरूप आज तक भी प्रचलित है। आज भी नाई उस्तरे का यही डिज़ाइन पसन्द करते हैं, बस आज के उस्तरों में ब्लेड चेंज किये जा सकते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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