पूर्व लेख में हमने महिला क्रूरता संबंधित धारा 498- क के बारे में बताया था। जिसके अनुसार बताया गया था कि पति या पति के नातेदार द्वारा महिला पर अत्याचार हो रहे हैं तो वो लोग धारा 498-क के दोषी होंगे। पर आज के लेख में हम आपको जानकारी देंगे कि अगर किसी महिला क्रुरता या दहेज के कारण आत्महत्या या ससुराल में मार दी जाती हैं तो ससुराल वाले या पति पर किस धारा के अंतर्गत मामला दर्ज होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 304-ख की परिभाषा:-
अगर किसी स्त्री की मृत्यु शादी के सात वर्ष के अंदर निम्न करण से हुई हो तब:-
1. ससुराल में जलने के कारण या शारिरीक चोट के कारण हुई हो।
2. मृतका को उसके पति या पति के रिश्तेदार द्वारा प्रताड़ित किया गया हो।
3. ऐसी प्रताड़ना दहेज की मांग को लेकर की जा रही हो।
4. मृतिका का शव उसके मायके वालों की सूचना दिए बिना शीघ्रता से दाह-संस्कार कर देना।
5. महिला की ससुराल में झगड़ा होने से आत्महत्या कर लेना आदि।
(उपर्युक्त कारण से अगर महिला की मृत्यु होती हैं तो वह मामला दहेज हत्या के अंतर्गत आएगा।)
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 304 -ख में दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध किसी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है एव यह अपराध संज्ञये एवं अजामनतीय होते हैं। इनकी सुनवाई सेशन न्यायालय द्वारा होती हैं। सजा- कम से कम सात वर्ष की कारावास किन्तु जो आजीवन कारावास तक हो सकती हैं।
उधारानुसार वाद-: वेणुगोपाल बनाम कर्नाटक राज्य-विवाह के दो वर्ष के अन्दर पत्नी की अप्राकृतिक मृत्यु हो गई। अभियोजन साक्षियों के साक्ष्य दर्शाते थे कि आरोपी पति ने दहेज के लिए कई बार अपनी पत्नी के साथ दुर्व्यवहार किया तथा उसे उत्पीड़ित किया ओर पीटा गया। बचाब पक्ष ने दलील दी कि महिला ने आत्महत्या की है परन्तु न्यायालय ने इसे स्वीकार नहीं किया। उच्चतम न्यायालय ने इस वाद में आरोपी को धारा 304 -ख, एवं 498-क के अधीन दोषी ठहराया गया।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665