कई बार आपने अखबारों में पढ़ा होगा कि कोई शातिर अपराधी विधिवत गिरफ्तारी के बाद पुलिस अधिकारी या कर्मचारियों की मदद से फरार हो गया। ऐसी स्थिति में अपराधी को फरार होने में मदद करने वाले पुलिस कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही तो होती ही है परंतु हम आपको बताते हैं कि भारतीय दंड संहिता के तहत भी ऐसे अधिकारी या कर्मचारी को दंडित करने का प्रावधान है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 221 परिभाषा:-
धारा 222 की परिभाषा:- सरल शब्दों में, लोक-सेवक(पुलिस अधिकारी या पुलिस कांस्टेबल) द्वारा ऐसे अपराधी को छोड़ना जिसे गिरफ्तारी के लिए न्यायालय या मजिस्ट्रेट द्वारा आदेश दिया गया हो। उसको हिरासत से छोड़ दिया जाए या भागा दिया जाए तब वह लोक-सेववक इस धारा के अंतर्गत दंडनीय होगा।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 222 में दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध संज्ञये एवं जमानतीय/ अजमानतीय दोनो प्रकार के होते हैं।इनकी सुनवाई सेशन न्यायालय एवं प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा पूरी होती हैं।
सजा:-(i). यदि न्यायालय के दंडादेश के अधीन आरोपी मृत्यु दण्ड से दण्डिनीय हो तब - आजीवन कारावास या 14 वर्ष की कारावास जुर्माने के साथ या जुर्माने के बिना।
(ii). आजीवन कारावास या दस वर्ष से दण्डिनीय हो तब- 7 वर्ष की कारावास जुर्माने के साथ या जुर्माने के बिना।
(iii). दस वर्ष से कम की कारावास से दंडनीय हो तब- 3 वर्ष की कारावास या जुर्माना या या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद (पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665