सादर नमस्कार, सारे देश मे अस्थाई शिक्षकों का भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा मे सरकारें काम कर रही है लेकिन म.प्र के अतिथि शिक्षक पिछले 12 वर्षों से भी अधिक समय से सेवा देने के बाद भी सुनिश्चित भविष्य पाने मे असमर्थ रहे जबकि इसके लिए वे वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं। 11 मई 2013 रायसेन अंत्योदय मेले मे सीएम शिवराज जी की की अतिथि शिक्षकों को संविदा शिक्षक बनाने की घोषणा भी कोरी साबित जिसमें उन्होने तीन वर्ष सेवा देने वाले अतिथि शिक्षकों को लाभ देने की घोषणा की थी। वहीं कांग्रेस पार्टी की सरकार रही म.प्र मे मगर कमलनाथ जी भी लिखित वचन देकर पूरा न कर पाये।
कहीं न कहीं इसके लिए अतिथि शिक्षक संगठनों द्वारा उचित मॉंग न कर पाना भी इसका कारण है। हम हिमाचल प्रदेश के अस्थायी शिक्षकों के संबंध मे दिए गए माननीय न्यायालय के निर्णय का अवलोकन करें तो वहॉं भी वर्षों सेवा देने वाले अस्थायी शिक्षकों के नियमितिकरण की बात की गई है। यदि म.प्र सरकार के सामने बीएड, डीएड किए हुए 5-10 साल सेवा दे चुके व्यापम उत्तीर्ण अतिथिशिक्षकों के नियमितिकरण की बात की जाए तो हो सकता है सरकार कोई ठोस नीति बनाकर अतिथिशिक्षकों का नियमितिकरण कर पाए क्योंकि प्रदेश मे पढ़े लिखे बेरोजगार लाखों की संख्या मे है जो शिक्षक पद की पात्रता रखते है और पिछले कई वर्षों से शिक्षक भर्ती न होने से यह संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है।
ऐसे मे सरकार अतिथिशिक्षकों के विषय मे ठोस निर्णय लेने से बच रही है क्योंकि कोई भी सरकार विरोधाभास नही चाहती है ऐसे मे यदि 5-10 साल सेवा दे चुके डीएड, बीएड पास व्यापम पास अतिथिशिक्षकों के नियमितिकरण की नीति बनाई जाए तो किसी को कोई परेशानी नही होगी वहीं यदि सरकार चाहे तो कोई अनुभव संबंधी पैमाना तय करके विभागीय परीक्षा द्वारा भी उनको गुरूजियों की भांति नियमित कर सकती है क्योंकि अभी जो अतिथि शिक्षक संगठनों के नेता है। कोई कहता है 1 वर्ष वाले को नियमित करे, कोई कहता है बिना बीएड, डीएड वालों को भी नियमित करें, व्यापम अनुत्तीर्ण को नियमित कर दे ऐसी अनुचित माँगो के कारण ही आज तक 5-10 साल सेवा दे चुका व्यापम उत्तीर्ण डीएड, बीएड पास अतिथिशिक्षक भी पदों की संख्या कम होने या किसी अन्य कारण या पद कम होने से बेरोजगार है।
इसमे सबसे ज्यादा नुकसान उस अतिथि शिक्षक का हो रहा है जो 35-40 की उम्र पार कर चुका है है और पारिवारिक दायित्वों व असुरक्षित भविष्य से घिरा है ऐसे मे कई अतिथिशिक्षक आत्महत्या जैसा जघन्य अपराध कर रहे है। इस लिए सरकार को स्वविवेक से जल्द कोई ठोस निर्णय अतिथिशिक्षक पक्ष मे लेना होगा क्योकि सरकारी नौकरी कोई प्रसाद नहीं है जो सबमे बॉंटा जाकर सबको संतुष्ट किया जा सके नेता अपनी नेतागिरी चमकाने मे लगे है और सभी की संतुष्टी की बात करते है इससे होता ये है कि सिवाय आश्वासन के आज तक 5-10 साल सेवा दे चुका अतिथिशिक्षक भी आज तक कुछ प्राप्त नही कर पाया है।
सादर धन्यवाद
आशीष कुमार बिरथरिया
जिला रायसेन म.प्र