जबलपुर। मध्य प्रदेश के जिला मंडला में पदस्थ सब इंस्पेक्टर श्री देवेंद्र परवार की वेतन वृद्धि निरस्त करके उनकी वेतन से 12% ब्याज सहित वसूली के आदेश को हाईकोर्ट ने स्थगित कर दिया है। साथ ही संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है।
मामला इस प्रकार है कि श्री देवेंद्र परवार सहायक उपनिरीक्षक, एसपी आफिस मंडला में कार्यरत हैं। श्री परवार को वर्ष 2012 में कॉन्स्टेबल से सहायक उपनिरीक्षक के पद पर, समान वेतनमान में प्रमोशन होने पर, नियम 22(d) मूलभूत नियम के तहत, अग्रिम वेतन वृद्धियों का लाभ देकर, दिनाँक 01/06/2012 से उनका वेतन निर्धारण किया गया था।
संबंधित कर्मचारी श्री परवार , निरंतर वेतन वृद्धि का लाभ प्राप्त कर रहे थे परंतु, दिनाँक 30/03/2020 संयुक्त संचालक, कोष लेखा, जबलपुर की आपत्ति का हवाला देकर, विभाग द्वारा, पूर्व से प्रदत्त वेतन वृद्धियों को निरस्त कर, श्री परवार का वेतन दिनाँक 01/06/2012 से पुनर्निधारण करने के आदेश किये गए थे। वेतन पुनर्निधारण के कारण, कर्मचारी के विरुद्ध, 1, 27, 227 की वसुली 12 प्रतिशत ब्याज सहित निर्देशित की गई थी। जो कि मसिक वेतन से की जानी थी।
श्री परवार का मामला, विभाग द्वारा विचार में नही लिए जाने के कारण, उनके द्वारा, हाई कोर्ट के अधिवक्ता, श्री अमित चतुर्वेदी के माध्यम से उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका दायर करवाई गई थीं। दिनांक 25/06/2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी द्वारा, हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी गई कि, याचिकाकर्ता को, नियम 22(d) मूलभूत नियम के तहत समान वेतनमान पर, पद्दोन्नति होने पर, वेतन वृद्धियां दी गई थी। उपरोक्त लाभ, समान वेतन में प्रमोशन होने पर, पदोन्नत पद, अधिक उत्तरदायित्व वाला होने के कारण दिया जाता है। लाभ नियमानुसार था परंतु, बिना कारणो का खुलासा किये , वेतन वृद्धियां निरस्त कर वसूली निर्देशित की गई है जो कि, माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध है। कोर्ट प्रथम दृष्टया, याचिकाकर्ता के पक्ष से सहमत रहा। हाई कोर्ट, जबलपुर ने वित्त विभाग सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर, वसूली को स्टे कर दिया है।