उपदेश अवस्थी। किसी भी व्यक्ति के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता कि उसके साथ रहने वाले लोग उसे सत्ता से बेदखल करने की प्लानिंग पर काम कर रहे हों और उसे पता तक ना चले। यदि सीएम शिवराज सिंह चौहान का वायरल ऑडियो सही है तो यह कमलनाथ के फेलियर का सबसे बड़ा प्रमाण पत्र है। क्योंकि सत्ता परिवर्तन अचानक किसी मुद्दे पर नहीं हुआ बल्कि एक लंबी प्लानिंग के बाद किया गया है और इतने लंबे समय तक कमलनाथ को ना तो इसकी भनक लगी और ना ही वह अपनी सुरक्षा में कोई इंतजाम कर पाए।
कमलनाथ की शान में क्या-क्या कसीदे पढ़े जाते थे
कमलनाथ को पॉलिटिक्स में मिस्टर मैनेजमेंट कहा जाता था। उनकी शान में कसीदे पढ़ने वाले बताते थे कि पॉलिटिक्स में उनका अपना जबरदस्त इनफॉरमेशन नेटवर्क है। सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, भारत की सभी पार्टियों में उनके इनफॉर्मर मौजूद है। कमलनाथ सर्व स्वीकार्य नेता है। वह दिग्विजय सिंह से ज्यादा योग्य है क्योंकि मध्यप्रदेश की गुटबाजी को संभाल सकते हैं। वह मूल रूप से कारोबारी है इसलिए कर्ज में डूबे मध्य प्रदेश को मुनाफे में ले आएंगे।
कमलनाथ मात्र 15 महीने मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं संभाल पाए
यदि प्रैक्टिकल बात करें तो मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन भारतीय जनता पार्टी की जीत नहीं बल्कि कमलनाथ की हार है।
चुनाव के दौरान भी कमलनाथ का गठबंधन मैनेजमेंट फेल हो गया था। सत्ता में आने के बाद भी गुटबाजी को मैनेज नहीं कर पाए।
कमलनाथ के पास कोई इंफॉर्मेशन नेटवर्क नहीं है। क्योंकि यदि होता तो उन्हें पता चल जाता कि दिल्ली में उनके खिलाफ क्या कुछ पक चुका है।
कमलनाथ सर्व स्वीकार्य नेता नहीं थे। होते तो ज्योतिरादित्य सिंधिया इस तरह उनके खिलाफ दल बदल जैसा जोखिम पूर्ण कदम नहीं उठाते।
वो तो अच्छा है कि केवल सत्ता परिवर्तन की प्लानिंग हुई थी। यदि कहीं कोई मध्यप्रदेश के खिलाफ साजिश कर रहा होता तो क्या होता। एक व्यक्ति जब मुख्यमंत्री हो तब इतना आत्ममुग्ध कैसे हो सकता है।
मध्य प्रदेश का सत्ता परिवर्तन कमलनाथ की कमजोरी का प्रमाण पत्र है
कमलनाथ के सोशल मीडिया मैनेजर भले ही उन्हें मासूम और धोखे का शिकार करार देते रहे लेकिन असल में मध्य प्रदेश का सत्ता परिवर्तन कमलनाथ की कमजोरी का प्रमाण पत्र है। अब तक माना जा रहा था कि 'तो उतर जाएं' बयान से नाराज होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दल बदल किया है परंतु ताजा वायरल ऑडियो के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि स्क्रिप्ट दिल्ली में लिखी जा रही थी और उन्हें पता था कि कमलनाथ की प्रतिक्रिया क्या होगी। एक जाल काफी पहले बुन दिया गया था और कमलनाथ उसमें फंस चुके से। ज्योतिरादित्य सिंधिया के सभी बयान प्लानिंग के तहत आ रहे थे और कमलनाथ को मुख्यमंत्री रहते हुए पता ही नहीं था। आम जनता के बीच भले ही कमलनाथ को मासूम साबित कर दिया जाए परंतु मैनेजमेंट की क्लास में 'पॉवर में बने रहने के लिए क्या करें, क्या ना करें' अध्याय में कमलनाथ की कहानी (क्या ना करें वाले सेक्शन में) जरूर सुनाई जाएगी।
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