भोपाल। जब विपक्ष कमजोर होता है तो सत्ता मनमानी पर उतर आती है। यदि इसका कोई जीवंत उदाहरण देखना है तो मध्य प्रदेश देखिए। यहां लॉकडाउन के कारण आर्थिक समस्याओं से गिरी जनता पर मध्य प्रदेश की सरकार ने कई तरह का आर्थिक वही डाल दिया है। क्योंकि विपक्षी पार्टी कांग्रेस कमजोर है, प्रभावशाली विरोध नहीं कर पाती इसलिए सरकार मनमानी करती जा रही है। हालात यह है कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पेट्रोल के दाम ₹87 लीटर से ज्यादा हो गए हैं।
भारत सरकार की पेट्रोलियम कंपनियां पिछले 16 दिन से लगातार पेट्रोल के दाम बढ़ा रही है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने लॉकडाउन के दौरान सरकारी खजाने को हुए नुकसान की भरपाई के लिए पेट्रोल/डीजल पर कुछ अतिरिक्त टैक्स ठोक दिया है। मध्यप्रदेश में हालत यह है कि पेट्रोल/डीजल के कुल मूल्य में पेट्रोल/डीजल की मूल कीमत और कंपनी का प्रॉफिट से ज्यादा सरकार के टैक्स हो गए हैं। बिजली के बिल, आरटीओ के टैक्स सहित और भी कई मुद्दे हैं। सरल शब्दों में यह की सरकारी खजाने को भरने के लिए जनता पर जितना आर्थिक बोझ डाला जा सकता है डाला जा रहा है।
कमजोर कांग्रेस केवल चिट्ठी लिखती है
जिस तरह की पेट्रोल मूल्य वृद्धि पिछले 16 दिन से हो रही है और जिस प्रकार मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह सरकार ने पेट्रोल/डीजल पर अतिरिक्त टैक्स लगाए हैं, यदि यही काम कांग्रेस की सरकार ने किया होता और भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में होती तो अब तक सरकार की नींद हराम कर दी गई होती लेकिन कांग्रेस पार्टी के नेता विपक्ष की भूमिका को निभाने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिन भर में 2-3 ट्वीट और सप्ताह में एकाद चिट्ठी लिखने से ज्यादा जनहित के काम नहीं करते। जबकि यदि कमलनाथ की जगह शिवराज सिंह चौहान होते तो अब तक न जाने कितने अनशन/प्रदर्शन चल रहे होते। कांग्रेस नेताओं की इस निष्क्रियता के कारण मध्यप्रदेश में एक नई लेकिन गैर जातिवादी पार्टी की गुंजाइश बनती जा रही है।
दिग्विजय सिंह ने मोक्ष की प्राप्ति के लिए पैदल-पैदल नर्मदा यात्रा की है। जनता को महंगाई से बचाने के लिए ग्वालियर चंबल की 16 विधानसभा सीटों पर पदयात्रा करें।
शिवराज सिंह चौहान जब विपक्ष में थे तब उन्होंने गला फाड़-फाड़ कर कहा था कि संबल योजना के हितग्राही बढ़े हुए बिजली बिल मत भरना, यदि किसी ने बिजली काटी तो मैं जोड़ने आऊंगा। क्या कमलनाथ के पास ऐसे कुछ वाक्य है या सिर्फ ट्वीट पर तंज कसते रहेंगे।
जीतू पटवारी कार्यकारी अध्यक्ष है। मीडिया का ध्यान खींचने वाली गतिविधियां करने में माहिर हैं। सरकार की नाक में दम करने का गुण जीतू पटवारी में उपलब्ध है। फिर क्या कारण है कि जीतू पटवारी अपनी विधानसभा और इंदौर के बाहर नहीं निकल रहे हैं।
कांग्रेस कर भी क्या सकती है
मनमोहन सिंह सरकार के समय शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहते हुए पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्यवृद्धि के खिलाफ साइकिल चलाई थी। कमलनाथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। उनका पदीय कर्तव्य है साइकिल चलाएं और विरोध प्रकट करें।दिग्विजय सिंह ने मोक्ष की प्राप्ति के लिए पैदल-पैदल नर्मदा यात्रा की है। जनता को महंगाई से बचाने के लिए ग्वालियर चंबल की 16 विधानसभा सीटों पर पदयात्रा करें।
शिवराज सिंह चौहान जब विपक्ष में थे तब उन्होंने गला फाड़-फाड़ कर कहा था कि संबल योजना के हितग्राही बढ़े हुए बिजली बिल मत भरना, यदि किसी ने बिजली काटी तो मैं जोड़ने आऊंगा। क्या कमलनाथ के पास ऐसे कुछ वाक्य है या सिर्फ ट्वीट पर तंज कसते रहेंगे।
जीतू पटवारी कार्यकारी अध्यक्ष है। मीडिया का ध्यान खींचने वाली गतिविधियां करने में माहिर हैं। सरकार की नाक में दम करने का गुण जीतू पटवारी में उपलब्ध है। फिर क्या कारण है कि जीतू पटवारी अपनी विधानसभा और इंदौर के बाहर नहीं निकल रहे हैं।
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