नई दिल्ली। चीन के साथ चल रहे तनाव और भारत के 20 जवानों की शहादत पर भारतीय जनता पार्टी ने आधिकारिक बयान दिया है। राष्ट्रीय महासचिव श्री राम माधव ने एक टीवी चैनल से कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कह दिया है कि 'शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा' तो निश्चित रूप से सरकार के मन में कोई विचार होगा। हमें उनका इंतजार करना चाहिए। राम माधव ने कहा कि इस नरसंहार के खिलाफ दलगत राजनीति से अलग हम सब एक साथ हैं।
निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री मोदी के मन में कोई विचार है
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा कि इस घटना पर अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हमारे वीर जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, तो निश्चित तौर पर सरकार के मन में कोई विचार होगा। एक टीवी चैनल से बातचीत में राम माधव ने कहा कि हमें सरकार के अगले कदम के लिए इंतजार करना होगा। प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा तो निश्चित रूप से व्यर्थ नहीं जाएगा। राम माधव ने इस घटना को पूरी तरह नरसंहार करार दिया और कहा कि चीन की इस हरकत की पार्टी लाइन से ऊपर उठकर हर किसी को निंदा करनी चाहिए।
चीन हमारी एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं कर पाएगा
गलवान घाटी में खूनी झड़प पर बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा कि जवानों ने देश की सीमा की हर इंच की रक्षा करते हुए अपना बलिदान दिया है। भारतीय सेना चीन को अपनी जमीन में घुसने से रोक कर रही है और चीन हमारी एक भी इंच जमीन पर कब्जा नहीं कर पाएगा।
हम दोस्ती चाहते हैं, लेकिन सीमा पर सतर्कता के साथ खड़े रहेंगे
राम माधव ने कहा कि आज चीन की सेना जब आगे आती है तो हमारी सेना उनको रोकती है। हालांकि संधि के कारण हथियार का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। राम माधव ने कहा कि हम दोस्ती चाहते हैं, लेकिन जमीन पर भारत के सम्मान की रक्षा के लिए हम हमेशा सतर्कता के साथ खड़े भी रहेंगे। हमने गलवान घाटी में चीनी सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर किया है।
चीन की चाल भांपने में भारत से चूक
भारत ने ड्रैगन की चाल समझने में चूक कर दी। उसे लगा था कि चीन सैन्य समझौतों का पालन करेगा। 6 जून को मिलिट्री कमांडर्स लेवल मीटिंग में जो तय हुआ था, चीन उससे मुकर गया। चीन ने न सिर्फ भारत की जमीन पर कदम रखे, बल्कि बातचीत की जगह हिंसा का रुख अपना लिया। भारत चीन के इरादे नहीं भांप पाया और नतीजा सामने है।
पूरी तैयारी के साथ आया था चीन
चीन जिस तरह से बॉर्डर के पास साजो सामान जुटा रहा था, भारत को उसी वक्त समझ लेना चाहिए था कि उसके इरादे नेक नहीं। उसने पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ युद्ध की पूरी तैयारी कर रखी थी। चीन ने भारत के साथ तय हुए डिसएंगेजमेंट प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया, जबकि भारतीय सेना उसपर डटी रही।
ट्रैक रिकॉर्ड बताता है चीन के इरादे
पिछले सात साल में चीन ने LAC पर कई जगह घुसपैठ की है। 2013 में डेपसांग, 2014 में चूमर, 2017 में डोकलाम और 2020 में पूर्वी लद्दाख। LAC तय न होना और चीन का अपने दावे बार-बार बदलना साफ दिखाता है चीन सीमा विवाद सुलझाना नहीं, बल्कि उसे जारी रखना चाहता है।
बातचीत से नहीं मानेगा चीन
15-16 जून की रात जो हुआ, उससे चीन का असली चेहरा फिर सामने आ गया। भारतीय सैनिकों ने PLA सैनिकों से बातचीत कर तनाव खत्म करना चाहा था, मगर चीन ने और फोर्स बुला ली। जब भारतीय सैनिकों को एहसास हुआ कि चीन के इरादे क्या हैं तो उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए निहत्थे ही चीन का सामना किया।
चीन समझ रहा यही है सही वक्त
चीन को लगता है कि हिमालयन रीजन में कब्जा करने का यही सही वक्त है। PLA ने हाल के दिनों में बॉर्डर के पास जिस तरह का आधुनिकीकरण किया है, भारतीय सेना उसे मैच करने की कोशिश कर रही है। चीन के पास पहाड़ी इलाकों में थोड़ा एडवांटेज है और यही उसके बर्बर व्यवहार की वजह है।
बुझ नहीं रही चीन की प्यास
गलवान घाटी में जहां चीन ने हमला किया, वह भारत का हिस्सा है। मगर पहली बार चीन ने उसपर दावा ठोंका है। यह चीन की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। वह पहले उन इलाकों पर धीमे-धीमे कब्जा करता है जहां उसे विरोध के लिए कोई सेना नहीं मिलती। जब कब्जा हो जाता है तो उसपर दावा ठोंकना चीन की पुरानी आदत है। LAC पर चीन यही रणनीति अपना रहा है।
महामारी का फायदा उठाना चाहता है चीन
भारत समेत पूरी दुनिया का ध्यान इस वक्त कोरोना वायरस महामारी पर है। चीन, जहां से ये वायरस पूरी दुनिया में फैला, इस महामारी की आड़ में अपने निहित स्वार्थ को पूरा करना चाहता है। 1962 की जंग के लिए चीन के नेता माओ ने कहा था कि '30 साल की शांति खरीदने का वक्त' आ गया है। चीन 2020 में शायद उसी लाइन पर चल रहा है कि एक युद्ध और होगा तो भारत कम से कम 30 साल के लिए चुप हो जाएगा।
चीन के झांसे में अब न आए भारत
भारत को ये समझ लेना चाहिए कि चीन शांति नहीं चाहता। मौका मिलते ही वह गर्दन दबोचने से नहीं हिचकेगा। भारत को हिमालय की वादियों में मौजूद अपनी सीमाओं को सुरक्षित करना होगा चाहे उसके लिए पूरे बॉर्डर पर सेना क्यों न तैनात करनी पड़े। चीन के सामने झुकने का मतलब है कि उसकी हिम्मत और बढ़ेगी।
भारत अब क्या करे?
ले. जनरल एच एस पनाग (रिटा.) के मुताबिक, भारत को अब वर्तमान और भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों की रणनीतिक समीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस में लिखा है कि एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति बनाने की जरूरत है। इसे संसद की स्क्रूटनी के दायरे में रखा जाना चाहिए।
सेना किसी से कम नहीं, पॉलिटिकल गाइडेंस की जरूरत
पिछले कुछ दशक में भारत ने अपनी सेना को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया है। अब भारतीय सेना की गिनती दुनिया की सबसे घातक सेनाओं में से होती है। LAC पर हुई हिंसा सरकार के लिए चेतावनी है कि वह अपने अप्रोच को बेहतर करे। एक इंच जमीन गंवाए बिना इस संकट को दूर करनपा बेहद जरूरी है, साथ ही भारत को अपना सम्मान भी बचाना है। विपक्ष, संसद, मीडिया और आम जनता को साथ लेकर सरकार आगे बढ़े तो देश एकजुट खड़ा नजर आएगा। हमारी सेना के पास वो क्षमता है कि PLA को तहस-नहस कर सकती है।
प्रधानमंत्री की दो टूक, कोई देश भ्रम में न रहे
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 जवान शहीद हो गए। जवानों की शहादत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो संदेश के जरिए कहा था कि शहीद जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। भारत शांति चाहता है। कोई भी देश भ्रम में ना रहे। हम किसी को उकसाते नहीं हैं, लेकिन उकसाने पर मुंहतोड़ जवाब देना हमें आता है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत शांति चाहता है, वीरता हमारे देश के चरित्र का हिस्सा है।
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