Motivational story in Hindi - भिंडी के लिए संवेदनशीलता

Bhopal Samachar
एक-एक भिंडी को प्यार से धोते पोंछते हुये काट रहे थे। अचानक एक भिंडी के ऊपरी हिस्से में छेद दिख गया, सोचा भिंडी खराब हो गई, फेंक दे.... लेकिन नहीं, ऊपर से थोड़ा काटा, कटे हुये हिस्से को फेंक दिया। फिर ध्यान से बची भिंडी को देखा, शायद कुछ और हिस्सा खराब था, थोड़ा और काटा और फेंक दिया । फिर तसल्ली की, बाक़ी भिंडी ठीक है कि नहीं...  तसल्ली होने पर काट के सब्ज़ी बनाने के लिये रखी भिंडी में मिला दिया।"

वाह क्या बात है...! पच्चीस पैसे की भिंडी को भी हम कितने ख्याल से, ध्यान से सुधारते हैं। प्यार से काटते हैं, जितना हिस्सा सड़ा है उतना ही काट के अलग करते हैं, बाक़ी अच्छे हिस्से को स्वीकार कर लेते हैं। ये क़ाबिले तारीफ है!..

लेकिन अफसोस ! इंसानों के लिये कठोर हो जाते हैं, एक ग़लती दिखी नहीं कि उसके पूरे व्यक्तित्व को काट के फेंक देते हैं । उसके बरसों के अच्छे कार्यों को दरकिनार कर देते हैं। महज अपने ईगो को संतुष्ट करने के लिए उससे हर नाता तोड़ देते हैं। क्या आदमी की कीमत पच्चीस पैसे की एक भिंडी से भी कम हो गई है!!

 आओ कहानी सुने 

 रिश्ताँ का महत्व 

एक बार एक शिष्य ने अपने गुरू से पुछा- गुरुदेव ये सफल जीवन क्या होता है?

गुरु शिष्य को पतंग उड़ाने ले गए, शिष्य गुरु को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था।

थोड़ी देर बाद शिष्य बोला- गुरुदेव ये धागे की वजह से पतंग अपनी आजादी से और ऊपर की ओर नहीं जा पा रही है। क्या हम इसे तोड़ दे? ये और ऊपर चली जायेगी।

गुरु ने धागा तोड़ दिया, पतंग थोड़ा सा ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आई और अनजान जगह पर जा कर गिर गई।

तब गुरु ने शिष्य को जीवन का दर्शन समझाया। बेटे जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर है। हमें अकसर लगता है कि कुछ चीजें जिनसे हम बंधे हैं, वह हमें और ऊपर जाने से रोक रही है, जैसे 
घर, 
परिवार, 
अनुशासन, 
माता-पिता, 
गुरु और 
समाज; 
हम उनसे आजाद होना चाहते हैं।

वास्तव में देखा जाचे तो यही वो धागा होते हैं, जो हमे उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं। इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो बिन धागे की पतंग का हुआ।

कहने का सार यही है कि रिश्तों को सहेजकर रखो। जीवन में यदि तुम ऊंचाई पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना, धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली ऊंचाई को ही सफल जीवन कहते हैैं।
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