हम बचपन से देखते आ रहे हैं, यदि दो चीजों में या दो व्यक्तियों में बहुत मामूली सा अंतर हो तो लोग कहते हैं 'दोनों में 19-20 का फर्क है।' सवाल यही है, लोग-बाग न्यूनतम अंतर को दर्शाने के लिए 19-20 का फर्क क्यों कहते हैं, 4-5 या 9-10 का फर्क क्यों नहीं कहते। इसके पीछे कोई लॉजिक है या फिर बस सदियों पहले कभी किसी ऋषि-मुनि ने कह दिया था और वही बात परंपरा बन गई है। आइए समझने की कोशिश करते हैं:-
ज्ञानदीप गुरुकुल के प्रिंसिपल और गणित के शिक्षक श्री दीपक दुबे कहते हैं कि सवाल गणित का है इसलिए जवाब भी गणित से ही आएगा। इसलिए शब्दों पर नहीं अंको पर ध्यान दीजिए। चलिए, इसे ऐसे समझते हैं
19 और 20 में 5 का गुणा कर देते हैं। 19x5= 95 और 20x5= 100 यानी अब दोनों के बीच अंतर 5 अंको का हो गया है जो पहले 01 अंक था।
अब मान लीजिए कहावत होती 9-10 का फर्क होना। तब प्रतिशत में इसका आंकड़ा देखने के लिए हम 9 और 10 में 10 का गुणा करते। 9X10 = 90 और 10X10 = 100 यानी उत्तर तो वही 100 आ रहा है लेकिन दोनों के बीच का अंतर 10 हो गया। (10%)
अब तीसरा विकल्प यानी 4-5 का अंतर, कैलकुलेट करते हैं।
4 और 5 के बीच भी 1 अंक का अंतर है। इसे यदि 100 पर लेकर जाना है तो 20 का गुणा करना होगा। 4X20=80 और 5X20=100, लेकिन यह क्या अंक जितने छोटे हो रहे हैं अंतर उतना ही बड़ा होता जा रहा है। दोनों के बीच का अंतर 20 हो गया है। यदि इसे प्रतिशत में कहें तो यह किसी भी चीज का पांचवा भाग है और यह मामूली तो कतई नहीं हो सकता।
अब समझ में आया 100 का मतलब हुआ प्रतिशत। 19-20 के अंतर को प्रतिशत में कैलकुलेट करेंगे तो सिर्फ 5% का अंतर आएगा लेकिन यदि कोई दूसरा अंक ले लिया तो अंतर 5% से अधिक ही होगा।
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