भोपाल। प्रदेश मे पंचायत सचिव ग्रामीण विकास विभाग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, कोरोना संकट में सरकार ने इन्हें कोरोना योद्धा की उपाधि भी दी है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भरे मंच से कई बार पंचायत सचिवो को सरकार की रीढ़ की हड्डी भी कहा है, उन्होंने कहा था जिसकी रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है, उनका पूरा शरीर सुदृढ़ होता है, लेकिन दुःखद पहलू यह है सरकार की रीढ़ की हड्डी को सरकार खुद कमजोर कर रही है।
दिवंगत सचिवों के परिजनों को अनुकम्पा नियुक्ति के प्रावधान तो किये गए है लेकिन रोस्टर, आमेलन समेत अनेक शर्तो ने सैकड़ों अनुकम्पा नियुक्ति के हकदारों को दर-दर की ठोकरें खाने के मजबूर कर दिया है, और यदि अंत मे नियुक्ति मिल भी गई तो मृत्यु अनुग्रह राशि वसूलने जैसे अमानवीय काम अधिकारियों द्वारा किये जा रहें हैं।
सरकार ने पंचायत सचिवो अंसदाई पेंशन दिए जाने के आदेश कर दिए लेकिन अधिकारियों ने कचरे की टोकरी में डाल दिये 2013 के आदेश हुये आज 07 साल बीत जाने के बाद भी पूरे प्रदेश में 01 भी पंचायत सचिव को योजना का लाभ नही मिल पा रहा है, पूरी जिंदगी गरीबों को पेंशन बांटने वाले पंचायत सचिव रिटायरमेंट के बाद खाली हाथ घर जा रहें, बिना पेंशन के बुढापे में मजदूरी करने मजबूर हैं।
2018 में चुनाव पूर्व सरकार ने छठवां वेतनमान का लाभ तो दिया लेकिन काल्पनिक अधिकारियों की मनमर्जी से गाड़ना कराई गई या कहें अधिकारियों द्वारा थोपा गया, सातवां वेतनमान पूरे प्रदेश में लाखों कर्मचारियों को 2016 से ही दे दिया गया सिर्फ पंचायत सचिवो को ही वंचित रखा गया है।
सरकार बार बार विभाग में संविलियन का आस्वाशन और घोषणा तो करती है लेकिन अधिकारियों को अमल में लाने की फुरसत नही है। सरकार की इस रीढ़ की हड्डी को हर महीने वेतन के लिए आंदोलन करना पड़ता है, तब वेतन मिलता है।
पंचायत सचिवों के वित्तीय प्रभार संविदाकर्मियों को सौंपने के लिए प्रदेश भर में जिले स्तर के अधिकारी सौदे करते आये दिन देखे जा सकते हैं, रीवा जिले में एकमुश्त आधा सैकड़ा वित्तीय प्रभार सचिवो से छीन लेना तत्कालीन मामला है, इस मामले ने आग में घी डालने का काम कर दिया है, जो बड़ा आंदोलन का रूप ले सकता है।
धीरे-धीरे प्रदेश के पंचायत सचिवो में आक्रोश पनपते जा रहे हैं, जो बड़ा आंदोलन का रूप ले सकता है।
पंचायत सचिव संगठन के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश शर्मा का कहना है- हम वर्तमान कोरोना संकट में सरकार के साथ खड़े हैं, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जब प्रदेश भर में कार्यालय बंद कर दिए गए ,कर्मचारियों को घर में रहकर काम करने के आदेश कर दिए गये तब प्रदेश के पंचायत सचिवो ने गांव-गांव और घर-घर जाकर काम किया है, लोगो तक राशन पहुंचाया, मास्क बांटे, सेनेटाइजेशन कराया और आज भी प्रवासी मजदूरो को काम दिलाने का काम कर रहे हैं, लेकिन सरकार हमारा अनदेखा कर रही है, मुख्यमंत्री जी से अपेक्षा है हमारी मांगो एवम समस्यायों पर यथाशीघ्र विचार करें, हम किसी आंदोलन की तरफ नही बढ़ना चाहते लेकिन निराकरण नही हुआ तो चरणबद्ध आंदोलन शुरू किए जाएंगे।