ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में कोरोना संक्रमण को लेकर प्रशासन कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इस घटना क्रम से लगाया जा सकता है। ग्वालियर के सिंगपुर रोड निवासी वीरेंद्र खंडेलवाल शुक्रवार को सैंपल देकर अपने घर आ गए थे। शनिवार को शाम 4 बजे उनकी मौत हो गई। इसके बाद भी तीन घंटे तक उनके परिजन और पड़ोसी शव को छूते रहे।
जिला प्रशासन की ओर से शाम 7 बजे मृतक के परिजनों को रिपोर्ट पॉजिटिव आने की जानकारी दी गई। जिला प्रशासन के पास करीब 6:30 बजे वायरोलॉजिकल लैब से काेरोना पॉजिटिव मरीजों की लिस्ट पहुंच चुकी थी,इसके बाद भी उनके शव को जेएएच पोस्टमार्टम भवन तक पहुंचाने में अधिकारियों को रात 10 बज गए।
जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कोरोना मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए अधिक वाहनों की तो व्यवस्था कर नहीं पाए हैं। सिर्फ 108 एंबुलेंस की छह गाड़ियों के ही भरोसे मरीज भर्ती कराए जा रहे हैं। सबसे ताज्जुब की बात यह है कि प्रशासन के पास इस बात के इंतजाम नहीं हैं कि अगर कोई कोरोना संदिग्ध मरीज घर पर खत्म हो जाए तो एंबुलेंस भेजकर उसके शव को तुरंत लाया जा सके।
मृतक वीरेंद्र के मामले में भी यही हुआ। जब अधिकारियों को यह पता चला कि कोरोना पॉजिटिव वीरेंद्र की मौत हो चुकी है तो पहले जिला प्रशासन के अधिकारियों ने जिला अस्पताल मुरार के डॉक्टरों से शव वाहिका भेजने के लिए संपर्क किया। डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि शव वाहिका जिला अस्पताल में है ही नहीं। इसके बाद सीएमएचओ डॉ. वीके गुप्ता से शव वाहिका का इंतजाम करके मृतक के घर भेजने के लिए कहा गया। रात करीब 9:35 बजे शव वाहिका वहां पहुंची।
मृतक के शव को बैग में रखने के बाद रात करीब 10 बजे जेएएच के पोस्टमार्टम भवन पहुंचाया गया। शव का अंतिम संस्कार कोविड नियमों के अनुसार रविवार को लक्ष्मीगंज विद्युत शवदाह गृह में किया जाएगा। वीरेंद्र खंडेलवाल की मौत के बाद उनके परिवार के 9 लोग शव से लिपटकर रोते रहे। इसके अलावा उनके मरने की सूचना मिलते ही उनके रिश्तेदार और मोहल्ले के कई लोग उनके घर पहुंच गए थे। जो रिपोर्ट पॉजिटिव आने की सूचना मिलते ही वापस चले गए।
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