सावन का महीना वैसे भी भगवान शिव को प्रिय होता है। इस महीने में यदि कोई प्रतीक स्वरूप भी शिवजी की आराधना करें तो उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है लेकिन इस साल तो सावन का महीना जैसे सभी शिव भक्तों के लिए भाग्योदय और मनोवांछित फलों की पूर्ति का अवसर लेकर आया है। 300 साल बाद श्रावण माह में ऐसा दुर्लभ संयोग दिखाई दे रहा है।
5 सोमवार के साथ दो शनि प्रदोष
सोमवार के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में शुरू हो रहे श्रावण का समापन तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर सोमवार के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र की साक्षी में ही होगा। एक माह में पांच सोमवार, दो शनि प्रदोष और हरियाली सोमवती अमावस्या का आना अपने आप में अद्वितीय है। ज्योतिषियों के अनुसार श्रावण मास में ग्रह, नक्षत्र व तिथियों का ऐसा विशिष्ट संयोग बीती तीन सदी में नहीं बना है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिग की पूजन परपंरा में शनि प्रदोष विशेष है। इस दिन भगवान महाकाल उपवास रखते हैं।
प्रारंभ और समापन का सोमवार कार्यों की सिद्धि के लिए श्रेष्ठ
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार पंचांगीय गणना, उज्जयिनी के जीरो रेखांश का गणित और नक्षत्र मेखला की इकाई गणना से देखें तो इस बार श्रावण मास का आरंभ और समापन सोमवार के दिन उत्ताराषाढ़ा नक्षत्र की साक्षी में होगा। यह नक्षत्र कार्यो की सिद्घि के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
दूसरा सोमवार मनोकामना पूर्ति के लिए
13 जुलाई को दूसरे सोमवार पर रेवती नक्षत्र, सुकर्मा योग, कोलव करण का संयुक्त क्रम रहेगा। यह स्थिति भक्तों को मानोवांछित फल की प्राप्ति के लिए धार्मिक कार्यो का पांच गुना शुभफल प्रदान करेगी। 20 जुलाई को हरियाली सोमवती अमावस्या पर पुनर्वसु नक्षत्र के बाद रात्रि में 9.22 बजे से पुष्य नक्षत्र रहेगा।
रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र: भाई और बहन दोनों के लिए दीर्घायु व समृद्धि कारक
सोमवार के दिन पुष्य नक्षत्र का आना सोम पुष्य कहलाता है। अमावस्या की रात सोमपुष्य के साथ सर्वार्थसिद्घि योग मध्य रात्रि साधना के लिए विशेष है। 27 जुलाई को चौथे सोमवार पर सप्तमी उपरांत अष्टमी तिथि रहेगी। साथ ही चित्रा नक्षत्र व साध्य योग होने से यह सोवार संकल्प सिद्घि व संकटों की निवृत्ति के लिए खास बताया गया है। रक्षाबंधन पर दिन भर श्रवण नक्षत्र श्रावणी पूर्णिमा रक्षा बंधन पर सुबह उत्ताराषाढ़ा के बाद श्रवण नक्षत्र रहेगा। तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र का होना महा शुभफलदायी माना जाता है। इस नक्षत्र में भाई की कलाई पर राखी बांधने से भाई, बहन दोनों के लिए यह दीर्घायु व सुख समृद्घि कारक माना गया है।