नई दिल्ली। कानपुर में हुए पुलिस टीम पर हमले ने पूरे देश को हिला दिया है। माफिया डॉन विकास दुबे को गिरफ्तार करने गए 8 पुलिस कर्मचारियों को घसीटकर बेरहमी से मारा गया। एक डिप्टी एसपी, 3 इंस्पेक्टर 4 कांस्टेबल शहीद हो गये। विकास दुबे ने कैसा चक्रव्यूह रचा था कि पूरी पुलिस टीम उस में फस गई। इस घटना के बाद कई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं। कानपुर के बाहर जाने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं। विकास दुबे के सभी संभावित ठिकानों पर पुलिस ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है।
कोई सुरक्षा उपकरण नहीं थे
सूत्रों के अनुसार, तीन दशक से अपराध की दुनिया पर राज करने वाले विकास से मोर्चा लेने वाली पुलिस के पास बुलेटप्रूफ जैकेट या हेलमेट जैसा कोई उपकरण नहीं था। यही कारण है कि इतने पुलिसकर्मियों को जान से हाथ धोना पड़ा। स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रॉसिजर का पालन न किए जाने के मामले पर एडीजी प्रशांत कुमार ने कोई जवाब नहीं दिया।
सूत्रों के अनुसार, गांव में रात में अंधेरा था। पुलिसकर्मियों के पास सर्चलाइट थी। इधर से पुलिस एकाध फायर करती और सर्चलाइट दिखाती, उससे ज्यादा तीव्रता से अपराधी फायर करते। ऑटोमैटिक हथियारों से अपराधी फायर कर रहे थे और पुलिस बचने को इधर उधर भाग रही थी। कुछ पुलिसकर्मी जो घायल हो गए थे, अपनी जान बचाने के लिए आसपास के घरों में रखे भूसे में छुप गए।
पुलिसवालों को घसीटकर मारी गोली
पुलिस के कमजोर पड़ते ही अपराधी बाहर निकल आए और असंगठित होकर यहां-वहां छिपे हुए पुलिसकर्मियों को तलाशकर मारना शुरू कर दिया। कुछ पुलिस कर्मचारियों को दूर तक घसीट कर गोली मारी गई। विकास के घर के बाहर 100 मीटर दूर तक खून के निशान है जो किसी घायल को घसीटने से बनते हैं।
छत से कूदे थे सीओ देवेंद्र मिश्रा, पहले कुल्हाड़ी से काटा फिर गोली मार दी
सूत्रों का दावा है कि डीएसपी देवेंद्र मिश्रा अपराधियों से बचने के लिए छत से कूदे। इस कवायद में वह बुरी तरह घायल हो गए। अपराधियों ने उनके पैर पर कुल्हाड़ी से वार किया फिर गोली मार दी। हालांकि कोई अधिकारी इन तथ्यों की पुष्टि नहीं कर रहा है।
ग्रामीणों में से कोई भी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं
पुलिस ने बिकरू गांव के कई पुरुषों को हिरासत में लिया, लेकिन विकास का खौफ ऐसा है कि कोई भी ग्रामीण कुछ बोलने को तैयार नहीं है। पूछने पर कोई बताता है कि वह खेत में तो कोई बताता है कि वह घर में सो रहा था ओर उसे कुछ सुनाई नहीं दिया। पुलिस का मानना है कि बिना ग्रामीणों की मदद कोई भी अपराधी इतनी हिमाकत नहीं कर सकता है।
विकास दुबे पर दर्ज हैं 60 से ज्यादा केस
विकास दुबे ने करोड़ रुपये की संपत्ति बनाई है। वह जमीनों के अवैध कब्जे और गैर कानूनी तरीके से जमीनों को हड़पने का माहिर है। वह जमीनों पर कब्जे करवाने के लिए लाखों रुपये के सुपारी लेता था। उसके कई ईंट भट्टे और कॉलेज हैं।
किले जैसा है विकास दुबे का घर
विकास दुबे का घर किले जैसा है। घर के चारो तरफ बड़ी-बड़ी दीवारे हैं। इन दीवारों के अंदर झांकना आसान नहीं है। ऊंची दीवारों के ऊपर कटीले तार लगे हैं। इस बाउंड्री के अंदर जाने के बाद बहुत बड़ा मैदान नजर आता है। घर किसी भूलभुलैया की तरह है। बाहर वाला आसानी से नहीं जान सकता कि किस तरफ क्या है।
शिवराजपुर एसओ महेश चंद्र यादव भी शहीद
कानपुर में पुलिस टीम पर हुए हमले में शिवराजपुर के एसओ महेश चंद्र यादव भी शहीद हुए हैं।
नहीं रुक रहे डीएसपी के परिवार के आंसू
डीएसपी देवेंद्र मिश्रा के शहीद होने के खबर उनके परिवार को मिली तो पूरा परिवार गमगीन हो गया। पोस्टमॉर्टम हाउस के बाहर उनका परिवार पहुंचा और बिलख-बिलख कर रो पड़ा। कुछ पुलिसकर्मी उन्हें सांत्वना देते नजर आए।
जेसीबी से रोका रास्ता
पुलिस टीम को रोकने के लिए विकास दुबे ने अपने समर्थकों के साथ इसी तरह अपने घर की ओर जाने वाला रास्ता रोका। बीच सड़क पर जेसीबी इसी तरह खड़ी कर दी गई, जिससे पुलिस की जीप आगे नहीं जा सकी।
कानपुर वारदात का मुख्य आरोपी विकास दुबे सपा का नेता है , उसकी पत्नी ऋचा दुबे सपा से जिला पंचायत का चुनाव लड़ चुकी है।
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