अक्सर कुछ लोगों का काम यह रहता है कि वह बैठे-बैठे पुलिस अधिकारी या किसी भी शासकीय विभाग में झूठी सूचना देते हैं। जिस बात को लेकर डिपार्टमेंट के आला अधिकारी मामले को संज्ञान ले लेते हैं और एक्शन में आकर कुछ कार्यवाही कर देते हैं। बाद में पता चलता है कि जिस व्यक्ति ने ये सूचना दी थी वह सही नहीं है, और गलत कार्यवाही हो गई। शासकीय अधिकारियों को इस प्रकार की झूठी सूचना देना भी एक दण्डनीय अपराध है जानिए।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 182 की परिभाषा:-
कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी को या पुलिस अधिकारी को ऐसी झूठी सूचना देगा जो सही नहीं है और अधिकारी उसे सही मानकर कार्यवाही कर दे और किसी अन्य व्यक्ति को क्षति या नुकसान हो जाए या होने की संभावना हो तब ऐसी सूचना देने वाला व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 182 में दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं।यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं।इनकी सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है। सजा- 6 माह की कारवास या एक हजार रुपए जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
धारा 118, 119, 120 से धारा 182 में अंतर जानिए
1. धारा - 118,119,एवं 120 गंभीर अपराध को छुपाना है।एवं मुख्य अपराध को छुपा कर किसी अन्य अपराध को बता कर घटना को अन्जाम दिया जाता है।
2. धारा- 182 झूठी सूचना देना है किसी भी अपराध की किसी भी शासकीय अधिकारी को या पुलिस अपराधी को, यह असंज्ञेय अपराध है।
पुलिस को गुमराह करने की धारा
उधारानुसार वाद:-इच्छाराम बनाम सम्राट वाद- आरोपी ने पुलिस में झुठी शिकायत दर्ज कराई की उसका घोड़ा भटक गया है जबकि वह उस घोड़े को पहले ही बेच चुका था। आरोपी की यह झुठी शिकायत दर्ज करने का वास्तविक उद्देश्य था कि घोड़े को खरीदने वाला व्यक्ति चोरी में पकड़ा जाए बस। आरोपी को न्यायालय दुआरा धारा 182 के अपराध के अंतर्गत दोषी ठहराया गया।
बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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