अपराध करने वाले अक्सर इसलिए बेखौफ हो जाते हैं क्योंकि मामला दर्ज होने के बाद जब कोर्ट में केस शुरू होता है तो वह बड़ी ही आसानी से गवाहों को धमका कर झूठी गवाही दिलवा देते हैं। ज्यादातर लोगों को मालूम नहीं होता कि झूठी गवाही के लिए धमकी देना या लालच देना कितना गंभीर अपराध है। इस पोस्ट को ध्यान से पढ़िए। इसके बाद किसी भी व्यक्ति को अपराधी से डर नहीं लगेगा बल्कि यह जानकारी गवाह को ताकतवर बना देगी।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 195-क की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को धमकी देकर, उत्प्रेरित करके, प्रलोभन (लालच) देकर या मान-सम्मान या किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचाने की धमकी देकर झूठी गवाही दिलवाएगा वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 195-क के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं, एवं यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं।इनकी सुनवाई उसी न्यायालय में होती हैं जहाँ ये अपराध विचारणीय है।
इस अपराध की सजा को दो भागों में बांटा गया है:-
1. किसी व्यक्ति को झूठी गवाही देने के लिए धमकाना, उकसाना, प्रलोभन देने के लिए:- सात वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
2. यदि ऐसी झूठी गवाही दिलवाई जाती हैं जिसकी मृत्यु दण्ड या सात वर्ष से अधिक कारावास से दण्डनीय है तब सजा- वही अपराध की सजा जिसके लिए झूठी गवाही दिलवाई गई हो उसी से दण्डनीय होगा।
बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)