सरकार यदि किसी संपत्ति का अधिग्रहण कर रही है और इसके लिए प्राधिकृत अधिकारी द्वारा विधिवत आदेश जारी कर दिया गया है तब ऐसी स्थिति में अधिग्रहण की कार्यवाही का शारीरिक विरोध (चाहे वह शांतिपूर्वक ही क्यों ना हो) भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत अपराध माना गया है। यानी ऐसी कार्रवाई के विरोध में आप केवल न्यायालय से स्थगन आदेश हिला सकते हैं। लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकते। ब्रिटेन की सरकार ने आईपीसी की धारा 183 इसलिए बनाई थी ताकि संपत्ति अधिग्रहण की कार्यवाही में कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार का दखल ना दे पाए और यदि वह ऐसा करता है तो उसे गिरफ्तार किया जा सके।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 183 की परिभाषा:-
अगर किसी सरकारी अधिकारी द्वारा विधिपूर्ण अधिकारित अधिकार से कोई संपत्ति लिए जाने का आदेश जारी है तब कोई व्यक्ति इस कार्य मे प्रतिरोध (बाधा, रुकावट, या प्रतिबंध) करेगा। वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
नोट:- 1. प्रतिरोध का आशय यहाँ पर शारिरिक सक्रिय बाधा उत्पन्न करने से है। संपत्ति देने से मना करना या बाधा पंहुचाने की धमकी देना इस धारा में प्रतिरोध का अपराध नहीं है।
2.पुलिस के कार्य या कर्तव्य का अनुपालन में नुकसान पहुंचने की धमकी देना इस धारा के अंतर्गत अपराध नहीं है, यह धारा 186 के अंतर्गत अपराध होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 183 में दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं। यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकते हैं। सजा- 6 माह की कारावास या एक हजार रुपए जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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