अब तक हमने बताया कि भारतीय सिक्कों का कूटकरण धारा 232, नकली सिक्के बनाने के उपकरणों को खरीदना, बेचना, स्टोर करना या बनाना धारा 234 और भारत में विदेशी सिक्कों का कूटकरण (नकली सिक्के बनाना) धारा 231 के तहत गंभीर अपराध है। आज के लेख में हम आपको बताएंगे कि अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी भारतीय या विदेशी सिक्को का आयात या निर्यात करता हैं यानी तस्करी करता है तो वह किन-किन धाराओं के अंतर्गत दोषी होगा जानिए।
1. भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 237 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी विदेशी सिक्के का जाली सिक्का या नकली सिक्का बनाकर भारत से आयात-निर्यात करेगा तब ऐसा करने वाला व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
2. भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 238 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर कर किसी भारतीय सिक्के का जाली सिक्का या नकली सिक्का बनाकर आयात निर्यात करेगा। तब वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 237,धारा 238 में दण्ड का प्रावधान:-
1. धारा 237 के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं। यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते है। इनकी सुनवाई के अधिकार प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को हैं। सजा- तीन वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
2. धारा 238 के अपराध भी समझौता योग्य नहीं होते हैं। यह अपराध भी संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार सेशन न्यायालय को होता है। सजा- आजीवन या दस वर्ष की कारवास और जुर्माने से भी दण्डित किया जा सकता है।
बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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