वह जमाना गुजर गया जब एसिड अटैक के लिए कोई गंभीर धारा नहीं थी। भारतीय दंड संहिता में ना केवल एसिड अटैक के लिए लंबी सजा का प्रावधान है बल्कि एसिड अटैक की कोशिश करना भी गंभीर अपराध माना गया है। एसिड अटैक की कोशिश, लगभग हत्या के प्रयास जितना गंभीर मामला दर्ज होता है। कृपया इसके बारे में ध्यान से पढ़ें और सब को बताएं ताकि कोई भी अपराधी एसिड अटैक की प्लानिंग करने से भी घबराए।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 326-क, 326- ख, की परिभाषा:-
धारा 326-क:- जो कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति पर अम्ल फेंक कर व्यक्ति को घोर उपहति करता, शरीर के किसी अंग को स्थाई या आंशिक नुकसान करता है, विकलांग बनाता है या अम्ल (एसिड) से जलाता है। वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
2. धारा 326-ख:- कोई भी व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से किसी व्यक्ति के ऊपर अम्ल (एसिड) को फेंकता है या फेकने की कोशिश करता है। उसके व्यक्ति के शरीर में क्षति या नुकसान होने की संभावना हो। वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 326क, एवं 326ख के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
दोनो धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं।यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते है। इनकी सुनवाई सेशन न्यायालय में होती हैं।
धारा 326क में सजा :- कम से कम दस वर्ष की कारावास किन्तु आजीवन कारावास तक हो सकती हैं और जुर्माना, जिसका संदाय पीड़िता को किया जाएगा।
धारा 326 ख:- पांच वर्ष तक की कारावास किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकती हैं और जुर्माना।
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बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 |
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