असिस्टेंट कमिश्नर मीणा: जून में बहाल हुए जुलाई में BJP विधायक से लड़ पड़े, छिंदवाड़ा ट्रांसफर / MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। आदिम जाति कल्याण विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर एलआर मीणा का तबादला श्योपुर से छिंदवाड़ा कर दिया गया है। शायद इसलिए ताकि वह जनप्रतिनिधियों के साथ व्यवहार करने का तरीका सीख जाएं। श्री मीणा पर आरोप है कि वह विधायकों के साथ अपने रिश्ते पर विवादित कर लेते हैं। कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल की शिकायत पर सस्पेंड होने के बाद जून माह में बड़ी मुश्किल से बाहर हुए थे और जुलाई खत्म होने से पहले बीजेपी विधायक सीताराम आदिवासी से लड़ पड़े। 

विधायक की मर्जी के खिलाफ ₹300000 खर्च कर दिए

विधायक सीताराम आदिवासी ने बताया कि वह पिछले सप्ताह आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त एलआर मीणा के पास गए और सहरिया अभिकरण के बजट की जानकारी ली तब मीणा ने फंड में 30 लाख का बजट बताया। विधायक ने इस राशि से सहरिया परिवारों के खेतों में सिंचाई, बिजली, खाद, बीज व उद्यानिकी जैसे कामों पर खर्च करने को कहा। विधायक का कहना है कि उनके मना करने के बाद भी यह पैसा पंचायतों में सीसी सड़कें, नाला व रपटा बनाने जैसे कामों पर खर्च करने की फाइलें चल गईं।

कलेक्टर ने शिकायत नहीं सुनी, विधायक को भोपाल आना पड़ा

विधायक के अनुसार वह मंगलवार को फिर मीणा के पास गए तो सहायक आयुक्त ने उन्हें अभद्रता के साथ जबाव दिया। वह कलेक्टर आरके श्रीवास्तव के पास शिकायत लेकर गए लेकिन कोई ठोस जबाव नहीं मिला तो सीधे भोपाल रवाना हो गए और मीणा का तबादला करवा दिया। 

सहायक आयुक्त एलआर मीणा का कांग्रेस विधायक बाबू जण्डेल से भी विवाद हो चुका है

पहले कांग्रेस विधायक व उनके भाई पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप सहायक आयुक्त एलआर मीणा का इससे पूर्व कांग्रेस विधायक बाबू जण्डेल से खुलकर विवाद चला। विधायक जण्डेल ने रिश्वत लेकर शिक्षकों के तबादले करने के आरोप लगाए तो एलआर मीणा ने विधायक जण्डेल व उनके भाई हंसराज पर रिश्वत लेकर ट्रांसफर के लिए दबाव बनाने के आरोप लगाए। यह मामला इतना तूल पकड़ा कि विधायक जण्डेल की शिकायत पर एलआर मीणा दिसंबर 2019 में सस्पेंड हो गए। 6 माह बाद जून 2020 में वह फिर से बहाल होकर श्योपुर में पदस्थ हो गए।

मनमाने खर्चे की फाइल पर कलेक्टर के भी सिग्नेचर है

सहायक आयुक्त की अभद्रता की शिकायत मैंने पहले कलेक्टर से की थी लेकिन, उन्होंने सुनवाई नहीं की। हकीकत तो यह कि सहरिया विकास के फंड से जो पैसा गलत खर्च हुआ है उन फाइलों पर कलेक्टर के भी हस्ताक्षर हैं। सहरियाओं का पैसा श्योपुर किले में तक लगाया गया है। यह पूरी गड़बड़ी अफसरों ने खुद के कमीशन के लिए की है। - सीताराम आदिवासी, भाजपा विधायक


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