अमित चतुर्वेदी। शासकीय कर्मचारी को वरिष्ठता प्रदान किया जाना एवं वेतन वृद्धियों का रोका जाना, पृथक एवं भिन्न अवधारणाएं हैँ। वेतन वृद्धियों का रोका जाना, कदाचरण नियमों के अनुसार, पेनाल्टी है। दूसरी ओर, वरिष्ठता का कदाचरण एवं पेनाल्टी से कोई संबंध नही है।
यदि, किसी कर्मचारी की एक वेतन वृद्धि, विभागीय प्रक्रिया पूर्ण होने पश्चात एक वर्ष के लिए रोकी जाती है। उपरोक्त पेनाल्टी, कर्मचारी की सेनिओरिटी/ वरिष्ठता को प्रभावित नही करती है। एस के शर्मा के केस में, सुप्रीम कोर्ट ने, माना है कि कर्मचारी की वेतन वृद्धि को एक वर्ष रोके जाने के कारण, जूनियर कर्मचारी को, वरिष्ठ के ऊपर प्रतिस्थापित नही किया जा सकता है।
उच्चतम न्यायालय के अनुसार, वरिष्ठता का पेनाल्टी से कोई संबंध नही है। किसी भी कर्मचारी को, मिसकंडक्ट के परिणामस्वरूप, वेतन वृद्धि का एक वर्ष के लिए रोका जाना , या एक वर्ष के लिए वेतन वृद्धियों से वंचित रखना, निःसंदेह दंड है। समान कृत्य के लिये उसकी वरिष्ठता को प्रभावित करना, । एक ही कदाचरण के लिए दोहरा दंड या दो पेनाल्टी दिया जाना है , अनुचित एवं विधी विरुद्ध है।
लेखक श्री अमित चतुर्वेदी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एडवोकेट हैं।