अमित चतुर्वेदी। वेतनमान/पे स्केल में किसी भी प्रकार की कमी या घटोत्री संबंधित कर्मचारी को युक्तियुक्त सुनवाई का अवसर प्रदान किये बिना नही की जा सकती है लेकिन ज्यादातर मामलों में अधिकारी धड़ल्ले से ऐसा करते हैं क्योंकि वो जानते हैं कि उनका अधीनस्थ कर्मचारी उसके कानूनी अधिकारों के प्रति सतर्क नहीं है।
स्थापित क़ानून या विधि के अनुसार, सेवा लाभों की वापिसी या परिवर्तन या वेतनमान घटाये जाने जैसे विपरीत प्रभाव डालने वाली कार्यवाही संबंधित को सुनवाई का अवसर प्रदान किये बिना, नही की जानी चाहिये। सक्षम अधिकारी द्वारा किसी वेतनमान की पुष्टि के पश्चात, कर्मचारी उक्त वेतनमान का पात्र हो जाता है।
उपरोक्त परिस्थितियों, में वेतनमान का घटाया जाना विधि विरुद्ध एवम संविधान के अनुच्छेद 311 एवम प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन माना जायेगा। दूसरे शब्दों मे, कर्मचारी का पक्ष सुने बिना, उक्त कार्यवाही पूर्णतः अवैध होती है।
लेखक श्री अमित चतुर्वेदी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर में एडवोकेट हैं। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)