अक्सर देखा जाता कि कोई भी व्यक्ति को सरकारी अधिकारी नोटिस या सूचना देता है कि वह यहां आकर अपना बयान या कथन दर्ज करवाये पर कुछ व्यक्ति इन आदेशों को अनदेखा कर देते हैं और संबंधित अधिकारी भी इस बात को संज्ञान नहीं लेते हैं कि वह व्यक्ति गैर हाजिर हैं। परन्तु जो व्यक्ति ऐसे लोकसेवक के आदेश का पालन जानबूझकर कर नहीं करता या समय पर नही आता तब उस व्यक्ति पर भी मामला दर्ज हो जाता है जानिए।
भारतीय दण्ड संहिता ,1860 की धारा 174 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसे लोकसेवक जोकि आदेश या सबाल पूछने का अधिकार रखता हो उनके निम्न आदेशो का पालन नहीं करेगा:-
1. न्यायालय में हाजिर होने के लिए भेजी गई लिखित सूचना (समन)का पालन नहीं पालन न करना।
2. किसी भी लोकसेवक की सूचना, आदेश, उद्घोषणा जो वैध रूप से सही हो उसका पालन नहीं करना।
3.उपयुक्त आदेश, सूचना, समन को जानबूझकर न मानना या गैरहाजिर रहना आदि इस धारा के अंतर्गत दण्डनीय अपराध है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 174 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते है। यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होती हैं। इनकी सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकते हैं। सजा- इस अपराध की सजा को दो भागों में बाँटा गया है-:
1. किसी स्थान या अधिकारी के सामने हाजिर न होना या बिना बयान के चले जाएं तब:- 1 माह की कारावास या 500 रु का जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
2. न्यायालय के आदेश को न मानना या हाजिर न होना या जानबूझकर लेट होना आदि :- 6 माह की कारावास या 1000 रु जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
उधारानुसार वाद :-* किशन बापू के वाद में आरोपी मजिस्ट्रेट के दुआरा दिये गये समन के अनुपालन में लगभग प्रातः 10 बजे न्यायालय में हाजिर हुआ लेकिन वह मजिस्ट्रेट आने के पूर्व ही न्यायालय से वापस चला गया। उसे धारा 174 के अंतर्गत दण्डित किया गया।
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बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 |
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