यह तो आपको पता ही है कि भारतीय सिक्कों का कूटकरण करना या फिर कूटकरण के उपकरण या बनाना, खरीदना और बेचना एक गम्भीर अपराध होता है। इसी श्रंखला में आज एक नया प्रश्न उपस्थित है। प्रश्न यह है कि यदि भारत देश में विदेशी सिक्कों का कूट करण किया जाए तो FIR कहां दर्ज होगी, भारत में या फिर उस देश में जिस के सिक्कों का कूटकरण (नकली सिक्के बनाना) किया गया। इस प्रश्न का उत्तर आईपीसी की धारा 231 में मिलता है। जिसके अनुसार यदि भारत की जमीन पर ऐसी कोई कोशिश भी की गई तो उसे 7 साल तक के लिए जेल भेज दिया जाएगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 231 की परिभाषा:-
जो कोई व्यक्ति किसी भी विदेशी असली सिक्कों को वैसा का वैसा नकली सिक्का बनाकर (कुटकरण करके) धोखा देने के उद्देश्य से उसके बदले में अन्य वस्तु खरीदेगा, ऐसा करने वाला व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 231के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं। यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती हैं। सजा- सात वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
*उधारानुसार वाद:-* बक्श बनाम सम्राट- कुछ नेपालियों के कहने पर आरोपी ने जर्मन-चाँदी के कुछ नेपाली सिक्के बनाए। प्रारंभ में वे इस आशय से नहीं बनवाए गए थे कि उन्हें असली नेपाली सिक्कों के रूप में चलाया जाए क्योंकि प्रत्येक सिक्के में टाँगने के लिए एक हुक भी बनाया जाना था परंतु आरोपी ने सिक्कों में बिना हुक लगाए वैसे ही नेपालियों को सौप दिया। न्यायालय ने निर्णय किया कि आरोपी के सिक्कों का कूटकरण किया है इसलिए आरोपी धारा 231 के अंतर्गत दोषी है।
बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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