खेतों में चलता हुआ ट्रैक्टर तो आपने देखा ही होगा। उसके पिछले दो पहिए बड़े और अगले दो पहिए छोटे होते हैं क्योंकि पिछले पहियों से पावर और अगले पहियों से दिशा दी जाती है। यह तो सबको पता है परंतु एक सवाल और है। ट्रैक्टर का साइलेंसर ऊपर आसमान की तरफ से होता है, कार की तरह पीछे या ट्रक की तरह साइड में क्यों नहीं होता। आइए इसका टेक्निकल लॉजिक समझने की कोशिश करते हैं:-
ट्रैक्टर का साइलेंसर ड्राइवर के सामने क्यों लगाया जाता है
भारतीय रेल में लोकोमोटिव श्री अजय कुमार बताते हैं कि ट्रैक्टर कोई शाही सवारी नहीं है। इसका उपयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है, अतः बहुत आवश्यक है कि इसका लागत मूल्य कम से कम रखा जाए। ऐसे में जब इंजन अगले हिस्से में है तो गैर जरूरी पाइपिंग जोड़ते हुए साइलेंसर को घुमा-फिरा कर कारों की तरह पीछे तक ले जाने में अनावश्यक खर्च से बचाया गया है। साथ ही ये रखरखाव एवं मरम्मत की दृष्टि से भी उपयुक्त है। अब इसकी मरम्मत के लिए ना तो मेकैनिक की नीचे लेटने की जरूरत होगी और ना ही जैक लगा कर लिफ्ट करने की।
ट्रैक्टर का साइलेंसर पीछे की तरफ क्यों नहीं होता
ट्रैक्टर में अक्सर पीछे की तरफ ट्रॉली जोड़ी जाती है, जिसमें अनाज, फल, सब्जियों के अलावा कभी-कभी कुछ लोग भी सफर करते हैं। सोचिए यदि इंजन से निकलने वाली जहरीली गैसें पीछे की तरफ निकलतीं तो उन फल, सब्जियों एवं अनाज के दूषित होने के साथ ही बैठने वाले लोगों को भी सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता। कृषि संबंधी बहुत से कार्यों में भी पीछे की तरफ लगा हुआ साइलेंसर उपयुक्त नहीं है। जैसे कि खेत की जुताई, बुवाई एवं फसल की कटाई इत्यादि। साइलेंसर पीछे होता तो फसल कटते-कटते ही दूषित हो जाती।
ट्रैक्टर का साइलेंसर ट्रक की तरह साइड में क्यों नहीं होता
दरअसल ट्रैक्टर का डिजाइन कुछ ऐसा है कि इसे ट्रक से कंपेयर नहीं कर सकते। हालांकि दोनों वजन उठाने के ताकतवर वाहन है परंतु दोनों का डिजाइन अलग-अलग है। ट्रक में ड्राइवर का केबिन आगे, इंजन नीचे और साइलेंसर साइड में होता है। जबकि ट्रैक्टर में इंजन आगे, साइलेंसर आसमान की तरफ और ड्राइवर की कुर्सी साइलेंसर के नीचे कुछ इस तरह से होती है कि साइलेंसर से निकलने वाला काला धुआं ड्राइवर को पार करते हुए आसमान में घुल जाए। यदि उसे ट्रक की तरह साइड में लगा दिया तो ट्रैक्टर का ड्राइवर कुछ ही दिनों में अंधा हो जाएगा।
विशेषज्ञ परिचय: भारतीय रेल के लिए मुंबई में लोकोमोटिव (ट्रेन के पायलट) अजयकुमार निगम ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के बेहतरीन विशेषज्ञों में से एक है। खिलौने वाली कार के इंजन से लेकर 200 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा तेज दौड़ने वाली हाई स्पीड ट्रेनों के इंजन तक सबकी अच्छी नॉलेज है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)