क्या आपने कभी कोर्ट यानी न्यायालय में यूज होने वाला पेपर देखा है। वह पेपर हल्के हरे रंग का होता है और सामान्य पेपर से थोड़ा ज्यादा बड़ा होता है। सवाल यह है कि जब बाजार में सफेद रंग का A4 साइज पेपर आसानी से उपलब्ध है तो फिर कोर्ट के प्रोसीजर में स्पेशल कलर और स्पेशल साइज़ का यूज क्यों किया जाता है। आइए जानते हैं:-
यदि कोई ऐसा सोचता है कि सामान्य से अलग और कुछ स्पेशल दिखाने के लिए ऐसे कागज का उपयोग किया जाता है तो निश्चित रूप से वह गलत है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट अरुण कुमार जो कागजों की प्रिंटिंग का कारोबार करते हैं, बताते हैं कि सिर्फ कोर्ट में ही नहीं बल्कि सभी प्रकार की ऐसी सरकारी प्रक्रियाओं में जहां दस्तावेज को रिकॉर्ड में रखना हो, ग्रीन पेपर का यूज किया जाता है। इस पेपर को लेजर (Ledger) पेपर के नाम से पुकारा जाता है।
यह कागज़ अन्य पेपर की अपेक्षा मजबूत होता है, इसे अभिलेख (रिकॉर्ड) के रूप में ज्यादा दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है। क्योंकि सरकारी फाइलों का साइज a4 साइज से बड़ा होता है, इसलिए उसमें लीगल साइज का कागज रखकर आसानी से रिकॉर्ड किया जा सकता है। पहले ये ज्यादातर बड़े साइज़ में आता था, क्योंकि रजिस्टर बड़े होते थे। लगभग 1975 के पहले हमारे सारे रिकॉर्ड, जैसे - कक्षा दसवीं, बारहवीं व यूनिवर्सिटीज के बच्चों के नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि, विषय, प्राप्तांक व पूर्णांक सभी, रजिस्टर में हाथ से लिखे जाते थे और बहुत दिनों तक इसी कागज़ में सुरक्षित रहते थे।
क्योंकि न्यायालय के कागज़ को भी रिकॉर्ड के रूप में ज्यादा दिन तक रखते हैं, इसीलिए न्यायालय में इस कागज़ को उपयोग में लाया जाता है। पहले बड़े साइज़ के कागज़ को काट के इस्तेमाल में लाया जाता था, अब कागज़ मिलें (Paper Mills) इन्हें काट के लेजर साइज़ में पैक करके देती हैं। इस कागज़ का साइज़ इंच में 8.5 x14, सेंटीमीटर में 22 x 36 सेंटीमीटर होता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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