भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाने के बाद बेरोजगार हो गए जयभान सिंह पवैया पार्टी में अपना अस्तित्व बनाए रखने की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी के चलते पवैया ने टि्वटर अकाउंट शुरू किया और पहला ट्वीट अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ किया। याद दिलाना जरूरी है कि जय भान सिंह पवैया का सबसे बड़ा संकट यह है कि 2018 में जिस प्रद्युम्न सिंह तोमर के सामने जय भान सिंह पवैया चुनाव हार गई थी, वही प्रद्युम्न सिंह अब ना केवल भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं बल्कि शिवराज सिंह सरकार में मंत्री भी हैं।
जयभान सिंह पवैया ने क्या किया है
श्री जयभान सिंह पवैया ने टि्वटर अकाउंट शुरू कर दी सबसे पहले अपनी पार्टी के नेताओं के खिलाफ ट्वीट किया। उन्होंने लिखा 'मध्यप्रदेश के नए मंत्री गण जब ग्वालियर आये तो वीरांगना लक्ष्मी बाई की समाधी पर दो फूल चढ़ाने क्यों नहीं गए ? याद रखें यह प्रजातंत्र और मंत्री परिषद शहीदों के लहू से ही उपजे है इतना तो बनता है' अजीब बात यह है कि यह ट्वीट उन्होंने तब किया जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित भारतीय जनता पार्टी के लगभग सभी दिग्गज नेता ग्वालियर में थे।
जयभान सिंह पवैया: कभी पार्टी का चेहरा हुआ करते थे, अब पार्टी कार्यक्रमों में भी नहीं बुलाती
ग्वालियर-चंबल संभाग में जयभान सिंह पवैया एक ऐसा नाम है जो एक जमाने में भारतीय जनता पार्टी के क्षितिज पर स्थापित सूर्य के समान चमक रहा था और आज कबाड़ में पड़ी ट्यूबलाइट की तरह नजर आते हैं। जयभान सिंह पवैया की राजनीति हिंदुत्व से शुरू हुई थी परंतु ग्वालियर-चंबल संभाग में उन्हें माधवराव सिंधिया के सीधे विरोध के कारण पहचान मिली। इसके बाद पवैया ने हिंदुत्व की लाइन छोड़कर सिंधिया विरोध की लाइन पकड़ ली। लोग अक्सर कहते थे कि भाजपा में पवैया की दुकान सिंधिया विरोध के कारण जमी हुई है। अब जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए, संध्या परिवार का कोई सदस्य कांग्रेसमें नहीं रहा, जयभान सिंह पवैया बेरोजगार हो गए। उनके पास अब कुछ नहीं बचा। उनका मुद्दा भाजपा में शामिल हो चुका है और उनकी विधानसभा में दूसरे नेता (प्रद्युम्न सिंह तोमर) की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है।