2 लड़कियां IAS की पढ़ाई करने खेतों में बैल की जगह काम कर रहीं हैं / INSPIRATIONAL STORY

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्य प्रदेश के सीधी जिले में दो बेटियों को सवर्ण और खासकर ब्राह्मण होने का दर्द भोगना पड़ रहा है। पिता मुंबई में वॉचमैन की नौकरी करते हैं। 8 महीने से घर नहीं आए। 1 एकड़ का खेत है लेकिन बैल नहीं है। घर चलाने के लिए दोनों बहने बैल की जगह जुत गईं। स्कूल 3 किलोमीटर दूर है, पैदल-पैदल जाती है। स्वर्ण ब्राह्मण होने के कारण सरकारी योजना से साइकिल नहीं दी गई। फिर भी ना तो किस्मत को कोसती है ना सरकार को। रात को 1:00 बजे तक करती पढ़ाई करती हैं ताकि आईएएस अफसर बन सके। पढ़िए पत्रकार श्री नीलांबुज पांडेय की रिपोर्ट:-

6 लोगों के परिवार में 1 एकड़ जमीन, ब्राह्मण है इसलिए कोई सरकारी मदद भी नहीं


ये दोनों बहनें (शालू तिवारी और रीतू तिवारी) सीधी जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर चुरहट तहसील के नोगवां निवासी सुरेंद्र तिवारी की बेटियां हैं, सुरेन्द्र के परिवार में पत्नी अनूपा के अलावा दो छोटे बेटे भी हैं। 6 लोगों के परिवार का आर्थिक गुजारा एक एकड़ जमीन पर नहीं हो रहा था। ब्राह्मण (सवर्ण) है इसलिए कोई सरकारी मदद भी नहीं मिल पा रही। इसलिए वे मुंबई चले गए और वॉचमैन की नौकरी करने लगे। 8 महीने से वे घर नहीं आए। 

हल में बैल की जगह बेटियां जुत गईं, परिवार के लिए अनाज पैदा किया

ऐसी स्थिति में पिछले साल उनकी दोनों बेटियों ने खेती शुरू कर दी। पर आर्थिक तंगी इतनी थी कि बैल खरीदने पैसे नहीं थे तो दोनों बहनों ने खुद हल से खेत की जुताई कर डाली। इतना ही नहीं, फसल की कटाई और गहाई तक की। उनकी मेहनत रंग लाई और 8 क्विंटल अनाज पैदा कर लिया। इस अनाज से घर की जरूरतें, पढ़ाई के लिए किताबें खरीदीं। जो अनाज बचा वह साल भर खाने के लिए हो गया। 

स्कूल 3 किलोमीटर दूर है, पैदल-पैदल जाती हैं

शालू ने बताया कि हम सालभर खाने का अनाज उगा लेते हैं, मां करीब 3 वर्षों से पेट दर्द के कारण बीमार रहती हैं। भाई सत्यम और नरेंद्र दोनों छोटे हैं। यदि हमें एक किताब या फिर मां की दवाई की जरूरत पड़ती है तो हम थोड़ा अनाज बेच कर उसे पूरा करते हैं। दोनों 9 वीं पास कर इस साल 10वीं कक्षा में गई हैं। वे पढ़ाई करने के लिए घर से 3 किलोमीटर दूर सेमरिया पैदल आती हैं। मध्यप्रदेश में निर्धन छात्राओं को स्कूल आने जाने के लिए सरकार की तरफ से साइकिल दी जाती है। दोनों ब्राह्मण बहनों को क्यों नहीं दी गई, इसका जवाब जिला शिक्षा अधिकारी से मिलना बाकी है।

रात को 8 से 1:00 बजे तक पढ़ती है, IAS बनना चाहती हैं

घर का काम काज खत्म कर रोज रात को 8 बजे से 1 बजे रात तक पढ़ती हैं। दोनों ही बहनें पढ़कर IAS अधिकारी बनना चाहती हैं। 

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